यह आया जांच में सामने
जांच में सामने आया कि जहां बुलबुले उठे वहां पिछले सात साल में 10 से 11 मीटर भूजल स्तर कम हुआ है। रिपोर्ट में बताया कि बुलबुलों में कोई खतरनाक गैस नहीं मिली है। इसलिए डरने जैसी कोई बात नहीं है। रिपोर्ट में लिखा है इस घटना का शायद ही कोई भू वैज्ञानिक संबंध हो। मिट्टी का पीएच 7.5 मिला है। वहां पास ही पाइप लाइन गुजर रही है। जहां बुलबुला उठा वहां से लगभग चार मीटर की दूरी पर जमीन से दो मीटर नीचे 300 एमएम व्यास वाली पाइप लाइन गुजर रही है। पाइप में छोटी दरार व छिद्र होने से पानी का रिसाव होता है। जल आपूर्ति से ठीक पहले पानी के साथ हवा का रिसाव हो सकता है। पानी सतह के वाष्पीकरण के साथ-साथ मोटे एओलियन रेत स्तभ के भीतर अवशोषित हो सकते हैं। इस कारण बुलबुले उठ सकते हैं। उल्लेखनीय है कि यह बुलबुले पानी के नहीं, बल्कि सूखी मिट्टी के थे।
ऐसे की जांच
-सैटेलाइट से भौगोलिक स्थिति देखी। -पिछले सात साल के भूजल के आंकड़े जांचे। -तीन अलग-अलग गहराई से मिट्टी के तापमान, पीएच व नमी का पता किया। -बुलबुलों के पास की गैस लेकर इसकी जांच की। -जमीन के नीचे की परतों का अध्ययन किया। -आस-पास के लोगों से जानकारी जुटाई।
यह दिए सुझाव
-दुबारा गैस निकले तो इसे एयरटाइट पाउच में एकत्र करें। -घटना का समय व अवधि सही तरीके से नोट करें। -जलआपूर्ति पाइप लाइन की जांच कर इसकी मरमत करवाएं। -क्षतिग्रस्त फुटपाथ की तत्काल मरमत करवाई जाए।
बीकानेर में हो चुकी घटना
बीकानेर के सहजरासर गांव में 15 अप्रेल 2024 को अचानक जमीन धंस गई थी। इससे 150 से 200 फीट लबा-चौड़ा तथा तकरीबन 90-100 फीट गहरा गड्ढा हो गया था। इसके बाद जयपुर से आई भारतीय भू-सर्वेक्षण विभाग की तीन सदस्यीय टीम ने जांच के बाद जल के अत्यधिक दोहन को कारण माना था। जांच रिपोर्ट में बताया है कि बरसात की कमी से भूजल रिचार्ज नहीं हुआ। इससे जमीन खोखली हो गई और मिट्टी नीचे चली गई।