जिले में रेल की पटरियों पर अब जर्मन तकनीक से बने रेल के डिब्बे (एलएचबी कोच) पटरियों पर दौड़ते नजर आएंगे। शुरुआत में कोटा से हिसार के बीच चलने वाली एक्सप्रेस ट्रेन में यह लगाए जाएंगे। पहली बार 15 दिसम्बर से यह कोच झुंझुनूं में दौड़ते नजर आएंगे। ऐसे कोच अभी शताब्दी, राजधानी जैसी ट्रेनों में ही लगे हुए हैं।
उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जन सम्पर्क अधिकारी कैप्टन शषि किरण ने बताया कि गाडी संख्या 19813/19814, कोटा-हिसार-कोटा एक्सप्रेस में कोटा से 15 दिसम्बर व हिसार से 16 दिसम्बर से एलएचबी कोच लगा दिए जाएंगे। इस गाडी में एलएचबी रैक के 01 सैकण्ड एसी, 04 थर्ड एसी, 12 द्वितीय शयनयान श्रेणी, 03 साधारण श्रेणी, 01 पेन्ट्रीकार तथा 01 पॉवरकार सहित कुल 22 डिब्बें होंगे।
यह होता है दोनों कोच में अंतर
सामान्य ट्रेनों में इंट्रीगल कोच फैक्ट्री पैराम्बूर चेन्नई द्वारा डिजाइन किए गए हुए कोच (आईसीएफ) लगे हुए हैं। यह गहरे नीले रंग के हैं। इनके निर्माण की शुरुआत वर्ष 1952 में हुई। यह स्टील से बने हुए होते हैं। इनका वजन ज्यादा होता है। इसमें एयर ब्रेक होते हैं जिनसे ट्रेन काफी दूर जाकर रुकती है। आईसीएफ में बिजली बनाने के लिए डायनेमो लगे होते हैं जो गति का कम करते हैं। कोच की रफ्तार भी धीमी होती है। आईसीएफ कोच के स्लीपर क्लास में 72 सीट होती हैं जबकि एसी-3 क्लास में 64 सीटें मौजूद होती हैं, वहीं, एलएचबी कोच ज्यादा लंबे होते हैं। दुर्घटना के दौरान आईसीएफ कोच के डिब्बे एक दूसरे के ऊपर चढ़ जाते हैं क्योंकि इसमें डुअल बफर सिस्टम होता है, जबकि एलएचबी कोच दुर्घटना के दौरान एक दूसरे के ऊपर नहीं चढ़ते। क्योंकि इनमें सेंटर बफर कॉङ्क्षलग सिस्टम होता है।
एलएचबी कोच जर्मनी के ङ्क्षलक हॉफमेन बुश ने तैयार किए हैं। अभी इनका निर्माण कपूरथला में हो रहा है। यह स्टेनलैस स्टील के होते हैं जिस कारण वजन कम होता है। disk ब्रेक होते हैं, इस कारण तेज गति होने पर भी कम दायरे में ट्रेन रुक जाती है। इसमें सस्पेंशन हाइड्रोलिक सिस्टम होता है जिस कारण ट्रेन की आवाज कम होती है, झटके कम लगते हैं। स्पीड भी ज्यादा होती है। रंग गहरा लाल होता है।