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सौरभ ने बीकेबीआईटी (बिरला तकनीकी प्रशिक्षण संस्थान, पिलानी) से बी.टेक किया है और बिट्स पिलानी से ही डिजाइनिंग इंजीनियरिंग में एमटेक कर रहा है। सौरभ के अनुसार चौखट बनाने वाली मशीन के लिए फिलहाल चीन जाना पड़ता है। साथ ही चौखट बनाने वाले कारीगर यूपी या बिहार से यहां आते हैं। कोराना काल में यह कार्य काफी प्रभावित हुआ। इसलिए उसने फैक्ट्री ऑटोमेशन मशनरी का स्टार्टअप करने की सोची।
चीन नहीं जाना पड़ेगा, स्थानीय को मिलेगा रोजगार
सौरभ ने बताया कि पत्थर की चौखट बनाने में कारीगर को काफी समय लगता है। साथ ही जरूरत के हिसाब से एक बार में चौखट की सही साइज कोई भी नहीं दे पाता। इसे देखते हुए सौरभ ने चौखट बनाने की मशीन तैयार करने का कार्य शुरू किया। इस मशीन को तैयार करने में उसे करीब छह महीने लगे हैं। एक महीने बाद यह मशीन पूरी तरह से तैयार हो जाएगी। इससे समय, लैबर चार्ज और बिजली की बचत होगी। मशीन के लिए लोगों को चीन नहीं जाना पड़ेगा। साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सकेगा।
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भारतीय पार्टस लिए काम में
लोकल फॉर वोकल को बढ़ावा देने के लिए सौरभ ने मशीन में सभी पार्टस भारत के ही काम में लिए हैं। इस मशीन में मोटर साइकिल की चेन, गन्ने की मशीन में काम आने वाले बॉक्स आदि भी काम में लिए गए हैं। सौरभ के पिता गोविंद कुमावत ने बताया कि सौरभ की ओर से तैयार की गई मशीन में एक बार में 3000 फीट चौखट तैयार की जा सकती है।