फोटोग्राफी के शौक़ीन थे मास्टर रूद्र नारायण दरअसल झांसी में क्रांतिकारियों की गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभाने वाले मास्टर रूद्र नारायण के घर पर चंद्रशेखर आज़ाद लम्बे समय तक गुप्त प्रवास के दौरान रहे थे। वे यहां रूद्र नारायण के छोटे भाई बनकर रहे थे। रूद्र नारायण के पुत्र मुकेश नारायण सक्सेना बताते हैं कि रूद्र नारायण जी फोटोग्राफी के शौक़ीन थे और उन्होंने घर में एक स्टूडियो भी बना रखी थी। चंद्रशेखर आज़ाद जब झांसी में गुप्त प्रवास पर थे, उसी समय मास्टर साहब ने उनकी तस्वीर खींचने का अनुरोध किया था। चूंकि चंद्रशेखर आज़ाद मास्टर साहब को बड़े भाई की तरह सम्मान देते थे, इसलिए वे अनुरोध को मना नहीं कर सके। बाकायदा मूंछे उमेठते हुए और पोज देकर उन्होंने फोटो खिंचवाई। इसके साथ ही मास्टर रूद्र नारायण ने एक तस्वीर और खींची जिसमें रूद्र नारायण के परिवार के साथ चंद्रशेखर आज़ाद मौजूद हैं।
चंद्रशेखर आज़ाद ने फोटो नष्ट कराने का भिजवाया था सन्देश मास्टर रूद्र नारायण के पुत्र मुकेश नारायण बताते हैं कि चंद्रशेखर आज़ाद की किसी तरह की कोई तस्वीर किसी के पास नहीं थी। वे नहीं चाहते थे कि किसी तरह कोई फोटो ब्रिटिश पुलिस तक पहुंच जाए और उनकी पहचान हो सके। झांसी से चले जाने के बाद उन्होंने क्रन्तिकारी विश्वनाथ वैशम्पायन के माध्यम से मास्टर रूद्र नारायण तक यह सन्देश भिजवाया कि उस तस्वीर को नष्ट कर दिया जाये। वैशम्पायन और रूद्र नारायण के बीच इस बात पर चर्चा हुई और मास्टर साहब ने कहा कि देश आज़ाद हो जाने पर लोग इस महान क्रांतिकारी को किस तरह याद रखेंगे। यह अकेली तस्वीर है जिससे उनकी स्मृति सुरक्षित रहेगी। दोनों इस बात पर सहमत हुए और चंद्रशेखर आज़ाद को यह बता दिया गया कि उनकी तस्वीर नष्ट कर दी गई है लेकिन क्रांतिकारी मास्टर रूद्र नारायण ने आजीवन यह तस्वीर धरोहर की तरह संभाल कर रखी। आज भी यह तस्वीर इस परिवार के लोग एक अविस्मरणीय स्मृति के रूप में सहेज कर रखे हुए हैं।