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झालावाड़

विश्व धरोहर : सांस्कृतिक वैभव को तरस रहा जल दुर्ग

जल दुर्ग गागरोन को विश्व धरोहर

झालावाड़Jun 22, 2024 / 10:34 am

harisingh gurjar

जल दुर्ग गागरोन को विश्व धरोहर

ऐतिहासिक धरोहर जल दुर्ग गागरोन को विश्व धरोहर में शामिल किए 21 जून 2024 को 11 वर्ष पूर्ण होने पर पर्यटन विकास समिति द्वारा दुर्ग के गणेशपोल पर शुक्रवार को एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। समिति संयोजक ओम पाठक ने कहा कि इस दुर्ग को 11 वर्ष विश्व धरोहर में शामिल किए हो गए है, लेकिन पर्यटन विभाग, पुरातत्व विभाग और जिला प्रशासन ने इसके विकास के लिए अभी तक कोई ऐसी मूलभूत और आकर्षक सुविधा यहां विकसित नहीं की जिस कारण यह दुर्ग अपने सांस्कृतिक वैभव को निखार सके। उन्होंने कहा कि अब विश्व धरोहर में चयन करने वाली यूनेस्को समिति को यहां पुन: आकर इस धरोहर की समीक्षा करना चाहिए,ताकि इसके पर्यटन विकास की योजना बन सकें।मुख्य वक्ता इतिहासकार ललित शर्मा ने कहा कि गागरोन दुर्ग उत्तर भारत का एक मात्र जल दुर्ग है जो 11वीं सदी में बना तथा मध्यकाल में इसका वैभव दिल्ली से मालवा और हाड़ौती से मेवाड तथा गुजरात के मध्य सामरिक महत्व था।

अनेक सम्राट यहां आए-

इसमें 14 युद्ध और 2 जौहर हुए तथा मध्य युग के अनेक प्रसिद्ध सम्राट यहां आए। आज भी सर्दी और बरसात में इस दुर्ग का पर्यटन वैभव पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है। सदस्य भारत सिंह राठौड़ ने कहा कि दुर्ग में उगी घास और कचरे तथा बदहाल कमरों सही करवाना चाहिए। भगवती प्रसाद मेहरा ने कहा कि दुर्ग की धरोहरों की परिचय पट्टिका टूट गयी है उन्हें दुरूस्त कर यहां आकर्षण के लिए केफैटेरिया खोला जाना चाहिए। कोषाध्यक्ष कन्हैयालाल कश्यप ने कहा कि दुर्ग के अवकलोकन के लिऐ पचपन रूपये का टिकिट होना काफी ज्यादा है, इसे कम कर 20 रूपए करना चाहिए। संगोष्ठी में नफीस शेख, फारूख अहमद, सुभाष सेन, उमाकान्त शर्मा, जावेद चौधरी, जुगराज सिंह राठौड़ सहित कई मौजूद रहे।

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