झालावाड़

टैक्स तो पूरा वसूल रहे, सुविधा के नाम पर कुछ नहीं

अकलेरा. कृषि मंडी में इस बार मक्का और सोयाबीन की बंपर आवक हो रही है। मध्यप्रदेश के किसान भी कृषि जिंस बेचने आ रहे हैं। मंडी प्रशासन टैक्स के रूप में किसानों से पैसा तो वसूल रहा है, लेकिन सुविधा के नाम पर मंडी में किसानों को कुछ नहीं मिल रहा है। मंडी प्रशासन टैक्स […]

झालावाड़Nov 23, 2024 / 11:45 pm

jagdish paraliya

  • अकलेरा. कृषि मंडी में इस बार मक्का और सोयाबीन की बंपर आवक हो रही है। मध्यप्रदेश के किसान भी कृषि जिंस बेचने आ रहे हैं। मंडी प्रशासन टैक्स के रूप में किसानों से पैसा तो वसूल रहा है, लेकिन सुविधा के नाम पर मंडी में किसानों को कुछ नहीं मिल रहा है। मंडी प्रशासन टैक्स को पैसे को अन्य कामों में खर्च कर रहा है। मंडी में किसानों के लिए न तो पीने के लिए शुद्ध पानी उपलब्ध है और न ही परिसर की साफ-सफाई की जा रही है। मंडी में किसान धूल और आवारा पशुओं से परेशान है।
अकलेरा. कृषि मंडी में इस बार मक्का और सोयाबीन की बंपर आवक हो रही है। मध्यप्रदेश के किसान भी कृषि जिंस बेचने आ रहे हैं। मंडी प्रशासन टैक्स के रूप में किसानों से पैसा तो वसूल रहा है, लेकिन सुविधा के नाम पर मंडी में किसानों को कुछ नहीं मिल रहा है। मंडी प्रशासन टैक्स को पैसे को अन्य कामों में खर्च कर रहा है। मंडी में किसानों के लिए न तो पीने के लिए शुद्ध पानी उपलब्ध है और न ही परिसर की साफ-सफाई की जा रही है। मंडी में किसान धूल और आवारा पशुओं से परेशान है।
जानकारी के अनुसार मंडी परिसर में जगह-जगह व्यापारियों ने अपनी जिंस जिंस फैला रखी है। ऐसे में किसानों को पर्याप्त जगह भी नहीं मिल पा रही है। परेशान किसान ट्रैक्टरों को भी इधर-उधर खड़े करते हैं। व्यापारियों ने बोली लगाए जाने वाले शेड में कृषि जिंस खरीद कर गल्ला कर रखा है। मंडी प्रशासन की अनदेखी से किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बारिश शेड पर कब्जा होने से अचानक बरसात होने पर किसानों को परेशानी होती है।
टंकी सफाई नहीं

दूरदराज से किसान मंडी पहुंचता है लेकिन यहां पीने का शुद्ध पानी भी नहीं मिलता। मंडी प्रशासन द्वारा पानी टंकी में डाला जाता है लेकिन टंकी सफाई नहीं की जाती। टंकी में काई जमी हुई है। पूरे परिसर में ट्रैक्टरों और वाहनों से धूल उड़ती रहती है। यही उड़ती धूल टंकी में भी जाती है। मजबूरी में इसी टंकी से किसान पानी पीते हैं।
सुविधा घर भी अधूरा

किसान रामगोपाल मीणा ने बताया है कि किसान यहां पर बहुत ज्यादा असुविधा महसूस करते हैं। मंडी परिसर में शौचालय सुविधा भी नहीं है। किसान खुले में ही शौच करने जाते हैं। वहीं मंडी में तैनात कर्मचारियों के लिए ड्रेस कोड तय है लेकिन मंडी के कर्मचारी ड्रेस में मौजूद नहीं रहते। ऐसे में पता नहीं चलता कि कौन मंडी में कर्मचारी है और कौन नहीं। जिससे किसान अपनी परेशानी नहीं बता पाते।
कैंटीन भी बंद

स्थानीय मंडी में 50 से 70 किलोमीटर तक दूर के किसान अपनी फसल बेचने आते हैं लेकिन मंडी प्रशासन के द्वारा उनके लिए सरकार द्वारा दी जाने वाली खाने की सुविधा पर मंडी प्रशासन का ध्यान नहीं है । किसान का कहना है कि कैंटीन हमेशा बंद मिलती है। अधिक दाम चुकाकर खाने का बंदोबस्त किया जाता है।
कृषि मंडी में सीधी खरीद की व्यवस्था है जिससे कृषि जिंसों की बोली लगाई जाती है ।किसानों की सुविधाओं के लिए किसान कलेवा योजना चालू है। पानी की व्यवस्था भी की गई है।

फूलचंद मीना

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