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चारे का विकल्प बनी पराली, अब नहीं जला रहे किसान

पनवाड़(झालावाड़). एक जमाना था जब किसान धान की फसल को तैयार करने के बाद खेतों में धान के अवशेष एवं पराली को आग के हवाले कर देते थे। जिले में पशुओं के लिए चारे की कमी होने के बाद से ही पराली के खरीदार आने लगे हैं। ऐसे में किसानों के लिए धान की पराली […]

झालावाड़Nov 29, 2024 / 10:35 pm

jagdish paraliya

  • पनवाड़ (झालावाड़). एक जमाना था जब किसान धान की फसल को तैयार करने के बाद खेतों में धान के अवशेष एवं पराली को आग के हवाले कर देते थे।
पनवाड़(झालावाड़). एक जमाना था जब किसान धान की फसल को तैयार करने के बाद खेतों में धान के अवशेष एवं पराली को आग के हवाले कर देते थे। जिले में पशुओं के लिए चारे की कमी होने के बाद से ही पराली के खरीदार आने लगे हैं। ऐसे में किसानों के लिए धान की पराली अब कमाई का जरिया बनने लगी है।
दिल्ली, हरियाणा, पंजाब सहित सम्पूर्ण एनसीआर में प्रदूषण का पर्याय बन चुकी धान की पराली पनवाड़ क्षेत्र में किसानों की कमाई कर रही है। पनवाड़ पराली की मंडी बन गया है। यह पराली बकानी, रटलाई, रायपुर, भवानीमंडी, भालता व मध्यप्रदेश के सैकड़ों गांवों में पशुपालक चारे के लिए ले जा रहे हैं। इस काम में सैकड़ों मजदूरों, व्यापारियों व वाहन मालिकों को भी रोजगार मिल रहा है।
रोजाना आ रहे सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्राली

पनवाड़ कस्बे में धान की पराली लेने के लिए सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्राली रोजाना पहुंच रहे हैं। पशुपालक जहां खेतों में थ्रेशर से फसल तैयार कर रहे होते हैं वहां पर पराली खरीदार पहुंच कर मोल भाव करते हुए आसानी से देखे जा सकते हैं। कस्बे निवासी राजू सुमन, बद्रीलाल नागर सहित कई किसानों ने बताया कि इस समय पराली की एक ट्रॉली एक हजार से पन्द्रह सौ रुपए तक भरवा रहे हैं। इसके साथ ही खेतों में जलाई जाने वाली पराली से अब आम के आम गुठलियों के दाम कहावत चरितार्थ हो रही है।
गुलमोहर चौराहे पर मेले जैसा माहौल

  • पनवाड़ कस्बे के गुलमोहर चौराहे पर जिले के आसपास के गांवों से सैकड़ों की संख्या में पराली लेने आने वाले पशुपालकों के कारण दिनभर मेले जैसा माहौल बना रहता है। यह सिलसिला अल सुबह से ही शुरू हो जाता है जो देर रात तक जारी रहता है। कस्बे के मध्य से गुजर रहे देवली-अरनिया स्टेट हाईवे पर एक साथ शाम के समय सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्राली गुजरने के कारण गुलमोहर चौराहे से बिशनखेड़ी चौराहे तक जाम की स्थिति बनी रहती है। कई बार आमने-सामने से वाहन आने के कारण समस्या ओर विकट हो जाती है। धान की पराली की मांग अधिक बढ़ने के कारण लोगों ने कमाई का जरिया भी बना लिया है। एक जगह ढेर कर बाद में महंगे दामों में बेचते हैं।

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