8 हजार से अधिक देना है-
जिले में 106 जीएसएस पर 318 ठेकाकर्मी सेवाएं दे रहे हैं। जिनका 1 फरवरी 2024 को नया ठेका हुआ है। इन कर्मचारियों को बिजली बोर्ड की सेवा शर्तो के अनुसार न्यूनतम वेजेज 283 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से करीब 8490 रुपए वेतन के भुगतान किया जाना चाहिए। हालांकि बिजली बोर्ड से सर्टिफिकेट लगाकर भेजते हैं। लेकिन कर्मचारियों को 5 हजार ही दिए जा रहे हैं। ऐसे में कर्मचारियों को घर खर्च चलाना मुश्किल हो गया है, वहीं विरोध करने पर ठेकेदार द्वारा कर्मचारियों को निकाल दिया गया है।ये सुविधाएं देनी होती है-
बिजली बोर्ड में काम करवाने के लिए संबंधित ठेकेदार को ठेका कर्मचारियों को सैफ्टी आइटम,ग्लबस सहित आवश्यक सुरक्षा उपकरण मुहैया करवाने होते हैं। वहीं ठेका कर्मचारी के साथ कभी अनहोनी हो जाएं तो इसके लिए ठेकेदार द्वारा कर्मचारियों को बीमा भी करवाना होता हैं।मनमानी के विरोध में सौंपा ज्ञापन-
झालावाड़ रोड, राजपुरा, समराई, रलायता, बिरियाखेडी, दुर्गपुरा, कोलाना, सलोतिया सहित कई जीएसएस के कर्मचारियों ने जिला कलक्टर को शुक्रवार को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में संावरलाल, गोविन्द, भागचन्द, मनीष, असलम, सौभाग सिंह, कालूराम, सत्यप्रकाश गोचर,शंकर लाल लोधा, लक्ष्मण सिंह,नन्दसिंह आदि ने बताया कि कई कर्मचारी 3 से लेकर 8 साल से काम कर रहे हैं। 31जनवरी तक हमें 5 हजार रुपए मिलते थे। लेकिन अब 1 फरवरी 2024 से नए ठेकेदार के टेंडर होने से वो उन्हे 4500 रुपए माह के हिसाब से ही भुगतान कर रहा है। इतने कम वेतन में बाइक का पेट्रोल आदि का खुद का खर्चा निकल पाना मुश्किल है, फिर परिवार चलाना कैसे संभव होगा।ज्ञापन में कलक्टर से मांग की कि ठेकाकर्मियों का कई वर्षों से शोषण हो रहा है,हमें इससे मुक्ति दिलाकर पूरा वेतन दिलाने की मांग की। ऐसे बताई पीड़ा- 01.हमें पहले 5 हजार रूपए मिलते हैं, अब 45 सौ रुपए देने की बात हो रही है। पांच हजार में घर खर्च नहीं चल रहा है। जान हथैली पर लेकर काम करते हैं। फिर भी पूरा वेतन नहीं मिले तो कैसे काम करें। सरकार व प्रशासन से हमारी मांग है कि न्यूनतम मजदूरी के हिसाब से 8 हजार रुपए तो कम से कम दिया जाना चाहिए। नरेन्द्र लोधा, जीएसएस ठेकाकर्मी। 02.ठेकाकर्मी आठ-आठ साल से काम कर रहे हैं, लेकिन अभी नया ठेका हुआ तो मात्र साढ़े चार हजार रुपए ठेकेदार दे रहा है। इतने कम पैसे में कैसे घर खर्च चलेगा। काम भी लाइट का रहता है। पूरा समय सजग रहना पड़ता है। कभी भी लाइट बंद-चालू करनी पड़ सकती है। हमारी मांग है टेंडर की शर्तों के अनुसार वेतन दिया जाएं।
लोकेश, जीएसएस ठेकाकर्मी।
टेंडर मुख्यालय से होता है
इन्हे हटा दिया गया है। अब ठेकेदार अपनी मर्जी से रखेगा। टेंडर तो मुख्यालय से होता है।ठेकाकर्मियों की अनुशासन हीनता भी मिली है, कुछ जीएसएस के कुछ फीडर पर 4 तो कुछ पर 6 घंटे बिजली दे रहे हैं, ऐसा नहीं चलता है, सभी उपभोक्ताओं को समान रखना पड़ता है। अभी हमारे कर्मचारी ही जीएसएस चला रहे हैं। जो भी सुधार होगा वो करेंगे। रामखिलाड़ी मीणा, अधीक्षण अभियंता, जयपुर डिस्कॉम, झालावाड़।