मुजफ्फरनगर निवासी अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को जौनपुर के थाना लाइनबाजार में अपहरण रंगदारी व अन्य धाराओं में धनंजय सिंह और उनके साथी विक्रम पर केस दर्ज कराया था। आरोप लगाया था कि संतोष विक्रम दो साथियों के साथ वादी अभिनव सिंघल का अपहरण कर पूर्व सांसद के आवास पर ले गए थे। वहां धनंजय सिंह पिस्टल लेकर आए। और गालियां देते हुए वादी को कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति करने के लिए दबाव बनाए। वादी के इंकार करने पर धमकी देते हुए रंगदारी मांगी।
वहीं इस मामले में केस दर्ज होने के बाद पूर्व सांसद गिरफ्तार हुए। बाद में उनकी जमानत इलाहाबाद हाईकोर्ट से हुई। इस केस के पिछली तारीख पर धनंजय और संतोष विक्रम ने आरोप मुक्ति प्रार्थना पत्र दिया था। इसमें कहा था कि वादी पर दबाव डालकर केस दर्ज करवाया गया। उच्चाधिकारियों के दबाव में अदालत में केस डायरी दाखिल की गई। वादी ने पुलिस को दिए बयान और धारा 164 के बयान में घटना का समर्थन नहीं किया है। शासकीय वकील ने लिखित आपत्ति किया कि वादी की लिखित तहरीर पर मुकदमा दर्ज हुआ।
सीसीटीवी फुटेज, सीडीआर, व्हाट्सएप मेसेज और गवाहों के बयान के आधार पर आरोपियों के खिलाफ अपराध साबित है। वादी पर केस वापस लेने का दबाव बनाया गया। अदालत ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद आरोपियों का प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया था। अगली तिथि पर दोनों आरोपी कोर्ट में उपस्थित हुए और आरोप तय हुआ था। कोर्ट ने वादी अभिनव को गवाही के लिए तलब किया था।