दरअसल, कन्हाईबंद की रहने वाली राजकुमारी कश्यप प्रेंगनेट थी। राजकुमारी के पहले से दो बच्चे थे। इसलिए माता-पिता और बच्चा नहीं चाह रहे थे। ऐसे में परिजन २७ मार्च को राजकुमारी को लेकर जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां प्रबंधन द्वारा एबॉर्शन को लेकर पूरी फार्मल्टी पूरी कराने के बाद गॉयनोलॉजिस्ट डॉ. सप्तर्शी चक्रवती ने महिला की जांच की, जिसमें महिला के बच्चेदानी में छेद हो जाने की जानकारी मिली। महिला के पहले भी तीन-चार बच्चे खराब हो चुके थे।
खुश खबर : 83 दिनों के बाद मेमू व रद्द पैसेंजर सोमवार से फिर दौड़ेगी पटरी पर महिला की बीपी और पल्स रेट का गिर गया था। मरीज की जान को खतरा था। जिससे तत्काल मरीज का ऑपरेशन करना जरूरी था। डॉ. चक्रवती ने बताया कि इस तरह का ऑपरेशन यहां अब तक नहीं हुआ था। एनेस्थेटिक भी उस दौरान मौजूद नहीं थे। ऐसे में इसकी जानकारी पहले परिजन को दी। फिर डॉ. एके जगत को बुलाकर तत्काल मरीज का ऑपरेशन किया गया। बच्चेदानी में हुए छेद का रिपेयर कर अबॉर्शन किया गया। साथ ही नसबंदी ऑपरेशन भी किया गया। क्योंकि आगे भविष्य में फिर प्रेंगनेट होने पर मरीज की जान को खतरा रहता। आखिरकार डॉक्टरों की मेहनत रंग लाई और ऑपरेशन पूरी तरह सफल हुआ। राजकुमारी अब पूरी तरह से स्वस्थ है और जिला अस्पताल में ही भर्ती है।
इधर 185 हाईबीपी, फिर भी सिजेरियन प्रसव
जिला अस्पताल में एक ओर जहां डॉक्टरों ने एक नया अध्याय जोड़ दिया वहीं लोगों के लिए एक और अच्छी खबर है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा एनेस्थिसिया डॉक्टर सिद्धार्थ सोनी की यहां वैकल्पिक तौर पर सेवा ली जा रही है। सोनी एनकेएच चांपा में कार्यरत है और अब जिला अस्पताल में सिजेरियन केस में आकर अपनी सेवा दे रहे हैं। जिससे एक बार फिर जिला अस्पताल में सिजेरियन प्रसव होने लगे हैं। ऐसे केस भी यहां हेंडल किए जा रहे हैं जो यहां कभी नहीं हुए।
खोखरा की आई मरीज श्वेता का ब्लड प्रेशर १८५/११ होने के बाद बावजूद एनेस्थिेटिक डॉ. सोनी की मदद से डॉ. चक्रवती ने उनका सुरक्षित सिजेरियन प्रसव कराया। बता दें, यहां पदस्थ एकमात्र एनेस्थिसिया डॉक्टर मर्सिलिना किस्पोटा लंबी छुट्टी पर चली गई है। जिससे यहां सिजेरियन प्रसव होना बंद हो गया था। मरीजों को रेफर किया जा रहा था। २७ मार्च से वे रोज यहां आकर केस कर रहे हैं। अब तक ११ केस करा चुके हैं।
-राजकुमारी कश्यप के बच्चेदानी में छेद था, जिसका सफलतापूर्वक ऑपरेशन यहां किया गया। ऑपरेशन नहीं होने की स्थिति में जान जाने का खतरा रहता है। मरीज अब पूरी तरह स्वस्थ है। इस तरह का ऑपरेशन जिला अस्पताल में पहली बार हुआ है। डॉ. सप्तर्शी चक्रवर्ती, गायनीकोलाजिस्ट
-डॉक्टरों की टीम ने बेहतर काम किया है। जिला अस्पताल में अब एनेस्थिसिया की भी वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। इसके बाद से सिजेरियल ऑपरेशन भी सफलतापूर्वक किए जा रहे हैं। इस तरह का ऑपरेशन जिला अस्पताल में पहली बार हुआ है। डॉ. बीपी कर्रे, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल जांजगीर-चांपा