जहां सीताराम कश्यप (80) काफी दिनों से अस्वस्थ था। लंबी बीमारी की वजह से गुरुवार की सुबह उसका निधन हो गया। शव घर पर रखा रहा। परिवार के लोगों ने मामले की सूचना उनकी चार बेटियों को दी। दरअसल, सीताराम कश्यप का बेटा नहीं था। इसलिए उसकी देखभाल परिवार वालों ने इसी शर्त पर कर रहे थे कि सीतारात के निधन के बाद उसकी संपत्ति परिवार वालों को दी जाएगी। बेटियों ने परिवार वालों की बातों पर राजी हुए लेकिन फैसला तुरंत करो कहने लगे।
इस तरह चलता रहा हाई वोल्टेज ड्रामा
गुरुवार की सुबह जब
अंतिम संस्कार करने की बात आई तो परिवार वालों ने कहा कि सीताराम की संपत्ति को उनके नाम किया जाए। तब बेटियां परिवार वालों की शर्त मान लिए। लेकिन परिवार वालों का कहना था कि उनकी संपत्ति को अभी उनके नाम किया जाए। इस दौरान दोनों पक्षों में हाईवोल्टेज ड्रामा चलता रहा। आखिरकार सीताराम की बेटियां उनकी शर्त नहीं मानी और खुद ब खुद अंतिम संस्कार करने की मन में ठान ली।
केवल बेटियां की हुईं शामिल
किसी के अंतिम संस्कार में लोगों की भीड़ जुट जाती है। लेकिन सीताराम के अंतिम संस्कार में केवल चार बेटियां निर्मला कश्यप सहित उनकी तीन बहनें ही नजर आई। परिवार वालों के साथ-साथ गांव वालों ने भी उसके अंतिम संस्कार में जाने से मना कर दिया। ऐसे में चार बेटियां व उसके बच्चों ने अपने पिता को कंधा दिया।