जिले में सिजेरियन ऑपरेशन की स्थिति
सरकारी अस्पताल
नार्मल प्रसव सिजेरियन
19271 332
निजी अस्पताल
नार्मल प्रसव सिजेरियन
4145 1865
ऑपरेशन से जन्म होने पर दूसरे बच्चें के लिए सिजेरियन मजबूरी
डॉक्टरों के मुताबिक पहले गर्भ के दौरान ऑपरेशन से प्रसव होने पर महिलाओं को अधिक परेशानी होती है। ब्लडिंग अधिक होने की स्थिति में कमजोरी आ जाती है। नवजात बच्चों को दूध पिलाने में दिक्कत होती है। वहीं दूसरे बच्चे के जन्म के लिए भी ऑपरेशन मजबूरी बन जाती है। नार्मल प्रसव कराने में प्रसूता के जान जोखिम का खतरा रहता है।
इन कारणों से प्राइवेट अस्पतालों में सिजेरियन प्रसव के मामले हैं अधिक
१. सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों की कमी
वर्तमान में जिला अस्पताल में एक ही गायनोलॉजिस्ट डॉ. सप्तर्शी चक्रवर्ती ही पदस्थ हैं जिनके द्वारा सिजेरियन ऑपरेशन किए जा रहे हैं। मगर सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल में एक गायनोलॉजिस्ट होने से काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। वहीं निश्चेतना विशेषज्ञ भी एक ही पदस्थ हैं। ऐसे में डॉक्टरों के अवकाश पर जाने पर सिजेरियन ऑपरेशन जिला अस्पताल में भी कई बार बंद होने की नौबत आ जाती है जिसके कारण लोग निजी में जाने मजबूर होते हैं। इसका फायदा निजी अस्पताल उठाते हैं और सिजेरियन ऑपरेशन के लिए परिजनों को राजी कर देते हैं।
ऑपरेशन करने में स्मार्ट कार्ड में ज्यादा का पैकेज
सिजेरियन प्रसव के बढऩे के लिए एक कारण इसमें पैकेज ज्यादा होना हैं। निजी अस्पतालों में ऑपरेशन से प्रसव कराने पर स्मार्ट कार्ड से 18 हजार 500 रुपए और नॉर्मल डिलिवरी के लिए 10 हजार मिलते हैं। कार्ड नहीं होने पर लोगों को 18 से 20 हजार रुपए तक देने पड़ते हैं, जबकि सामान्य प्रसव पर उतने रुपए नहीं मिलते। ऐसे में कई अस्पताल संचालकों द्वारा क्रिटिकल केस बताकर ऑपरेशन को जरूरी बताते हैं।