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जांजगीर चंपा

चुनावी वादों का असर: 24 दिनों बाद भी 94 खरीदी केंद्रों में बोहनी तक नहीं

विधानसभा चुनाव, त्यौहार और राजनैतिक दलों के द्वारा की गई घोषणाओं का असर इस वर्ष धान खरीदी खरीदी पर स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है। जिले के 94 खरीदी केन्द्रों में धान की बोहनी तक नहीं हुई है।

जांजगीर चंपाNov 24, 2023 / 08:52 pm

Anand Namdeo

चुनावी वादों का असर: 24 दिनों बाद भी 94 खरीदी केंद्रों में बोहनी तक नहीं

जिले में 1 नवंबर से समर्थन मूल्य पर किसानों से खरीफ धान की खरीदी प्रारंभ हो गई है, लेकिन 24 दिनों बाद भी जिले के 94 खरीदी केन्द्रों में धान की बोहनी तक नहीं हुई है। खरीदी केन्द्रों में अब तक एक दाना धान भी बिकने के लिए नहीं पहुंचा है। 35 केंद्रों में ही 18 हजार 506 क्विंटल धान खरीदी हुई है। ग्रामीण इलाकों में पत्रिका की टीम ने किसानों से चर्चा की तो इस वर्ष धान की कटाई और मिसाई के कई कारण नजर आए। इसमें विधानसभा चुनाव सबसे प्रमुख रहा है। विधानसभा चुनावों के दौरान राजनैतिक दलों के द्वारा जुलूस, जनसंपर्क कार्यालय कार्य, चुनावी कार्य जैसे पोस्टर चिपकाना, पांपलेट बांटना जैसे कार्यों के लिए 200 से 300 रुपया प्रतिदिन की दर पर लोगों को काम पर लिया गया था, जिसकी वजह से तात्कालीन रुपए ने लोगों को आकर्षित किया। जिसका असर रहा कि ग्रामीण इलाकों में धान की कटाई के लिए श्रमिकों का ही टोटा हो गया, जिसकी वजह से कटाई लेट हो गई। चुनावों के बाद रही सही कसर त्योहारों ने पूरी कर दी है। अब त्यौहार का सीजन खत्म होने के बाद धान की कटाई तथा मिसाई में तेजी आई है, जिसकी वजह से इस वर्ष अब तक धान की खरीदी कमजोर ही रही है।

किसान कर रहे तीन दिसंबर का इंतजार….


राजनैतिक दलों द्वारा कर्जमाफी, अपने अपने घोषणा पत्रों के अनुसार किसानों से धान खरीदी के वायदों ने भी किसानों को बुरी तरह से कन्फ्यूज कर दिया है। किसानों को लग रहा है कि यदि उन्होंने अभी धान को बेच दिया और बाद में दूसरी सरकार आ गई तो नई सरकार के समय हुई धान खरीदी के दाम का फायदा उन्हे नहीं मिल पाएगा। लिहाजा किसान 3 दिसंबर तक इंतजार करने को भी तैयार हैं। नई सरकार के बाद ही धान बेचने का प्लान बना रहे हैं। जिम्मेदार अधिकारी भी किसानों को अब तक नहीं समझा पा रहे हैं जिसका असर है कि जिन किसानों की धान की मिसाई भी हो चुकी है वे 3 दिसंबर तक धान को खरीदी केन्द्रों में बेचने नहीं पहुंच रहे हैं। खरीदी केन्द्रों के कर्मचारी सबसे ज्यादा चिंतित हैं क्योंकि इस वर्ष जिले में धान की फसल जोरदार है यदि इसी प्रकार किसान कुछ दिन धान बेचने नहीं पहुंचे तो बाद में धान की इतनी अधिक आवक होगी कि खरीदी केन्द्रों में धान को रखने के लिए जगह भी नहीं रहेगी।

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