धूल से फसलें हो रही बर्बाद
आसपास के रहने वाले दुर्गेश यादव, सानु आदि ग्रामीणो ने बताया कि क्रशर मशीन से थोड़ी ही दूरी पर उनका खेत है। यहां से उडने वाली धूल के कारण हर साल उनकी फसल का नुकसान तो होता है। वहीं क्रशर संचालकों की मनमानी के चलते आसपास रहने वाले लोगों श्वास संबंधी बीमारियां तो फैल ही रही हैं। पौधरोपण भी नहीं किया जा रहा है।
बना रहता है सिलिकोसस का खतरा
पत्थर खदान और क्रशर प्लांट के आसपास रहने वाले लोगों और काम करने वाले लोगों को हरदम सिलिकोसस बीमारी होने का खतर बना रहता है। एक क्रशर 3 से 4 किमी के आवासीय क्षेत्र को प्रभावित करता है। पत्थर खदानों में काम करने वाले मजदूर और आसपास रहने वाले लोगों में शत-प्रतिशत सिलिकोसिस होने की संभावना रहती है। इसके अलावा ये करीब 1 किमी क्षेत्र की खेती को भी गंभीर रूप से नष्ट करते हैं। इनके आसपास की जमीन बंजर हो जाती है। उन्होंने कहा कि मशीनों को कबर्ड करने के साथ पानी का छिड़कान किया जाना चाहिए।