आवेदक सारागांव निवासी राजकुमार 35 वर्ष पिता पुनिराम राठौर के अनुसार उसने 30 सितंबर 2017 को इंडसइंड बैंक जांजगीर से फाइनांस करा कर पिकअप वाहन क्रमांक सीजी 11 एएएल 6259 खरीदा था। वाहन का बीमा चोलामंडलम एमएस जनरल इन्श्योरेंस कंपनी के रायपुर शाखा से कराया था जो 10 अक्टूबर 2019 तक के लिए है। इसी बीच 19 नवंबर 2018 को उसका वाहन ग्राम तिलई के पास दुर्घनाग्रस्त हो गया। इसकी सूचना बीमा कंपनी को देने पर निकट के सर्विसिंग सेंटर तक वाहन ले जाने की बात कही गई। उसके द्वारा शिवम मोटर्स अकलतरा में वाहन खड़ी करने पर बीमा कंपनी के सर्वेयर द्वारा जांच की गई और मरम्मत करा लेने कहा गया, जिसके आधार पर राजकुमार ने वाहन का मरम्मत करा लिया।
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कमरे में महिला को अकेले देख मनचले ने पीछे से ऐसे दबोच लिया और फिर करने लगा गंदा काममरम्मत के खर्च को लेकर बीमा कंपनी में दावा किया गया। बीमा कंपनी द्वारा राजकुमार से वाहन का फिटनेस व परमिट की मांग की गई। फिटनेस जमा करने व हल्के वाहन को परमिट की आवश्यकता नहीं होने की बात कहने पर भी बीमा कंपनी अपने मांगे गए कराने अड़ी रही। इस पर अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस देने के बाद भी भुगतान नही मिलने पर राजकुमार ने उपभोक्ता फोरम में बीमा कंपनी द्वारा सेवा में कमी किये जाने पर वाहन मरम्मत खर्च के साथ मानसिक क्षतिपूर्ति व वाद व्यय दिलाने वाद दायर किया। दोनों पक्ष के सुनवाई के बाद फोरम के अध्यक्ष बीपी पांडेय, सदस्य मनरमण सिंह व मंजूलता राठौर ने बीमा कंपनी द्वारा सेवा में कमी पाया। फैसला सुनाते हुए बीमा कंपनी को एक माह के भीतर वाहन मरम्मत की राशि तीन लाख 70 हजार रुपए के साथ मानसिक क्षतिपूर्ति बतौर 25 हजार रुपए व वाद व्यय स्वरूप 3000 रुपये अदा करने का आदेश दिया।