काउंसलिंग की प्रक्रिया तो दूर की बात है। इससे शिक्षक संघों में रोष भी नजर आ रहा है। इसकी शिकायत भी कई संघों के द्वारा जिला प्रशासन से की जा चुकी है। बताया जा रहा है कि इसके बाद भी जिला शिक्षाधिकारी के द्वारा महीनों से केवल आश्वासन ही दिया जा रहा है। इससे प्रमोशन की प्रक्रिया में कई तरह के सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि आखिर प्रमोशन में देरी क्यों हो रही है।
CG News: करीब 100 से ज्यादा प्रायमरी स्कूलों में प्रधानपाठक नहीं
गौरतलब है कि सहायक शिक्षक से प्राथमिक प्रधानपाठक पद पर पदोन्नति की प्रक्रिया जिले में वर्ष 2022 में हुई थी। इसके बाद से पदोन्नति नहीं हो पाई है।
जांजगीर-चांपा जिले की बात करें तो यहां करीब 100 से ज्यादा प्रायमरी स्कूलों में प्रधानपाठक नहीं हैं। इन पदों पर पदोन्नति दी जानी है। जून-जुलाई तक पदोन्नति की प्रक्रिया पूरी हो जानी थी लेकिन अब तक केवल हील-हवाला होता आ रहा है।
शिक्षकों की माने तो हर बार केवल आश्वासन मिल रहा है कि लिस्ट तैयार हो चुकी है। आज-कल में काउंसिलिंग कर देंगे। इधर अब डीईओ के द्वारा संबंधित खंड प्रभारी के अवकाश पर रहने को देरी की वजह बताई जा रही है।
छग शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने सौंपा ज्ञापन
पदोन्नति में हो रही देरी को लेकर 22 अगस्त छग शिक्षक संघ मोर्चा ने डीईओ से मुलाकात की। संघ के पदाधिकारियों ने ज्ञापन देकर जल्द से जल्द से परामर्शदात्री की बैठक आयोजित करने और
काउंसिलिंग कराने की मांग रखी। वहीं प्रक्रिया में हो रही देरी को लेकर नाराजगी भी जताई। शिक्षकों के प्रमोशन की प्रक्रिया हर बार विवादों में रहती थी। इसके पहले भी पदोन्नति को लेकर अधिकारियों को लेन-देन शिकवा-शिकायतों और आरोप लगते रहे हैं। मनचाहे स्कूल में पोस्टिंग को लेकर सारा खेल होता है। बहरहाल वजह कुछ भी हो लेकिन भर्ती प्रक्रिया में देरी को लेकर प्रश्न चिन्ह लगने लगा है।