लेखकों का यही प्रयास है कि हर इंसान यह समझ सके कि हमारे आसपास जो गलतियां हो रही है उसे हम किस तरह सही कर सकते हैं ताकि आने वाले समय में हमें कोई भी परेशानी ना हो। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि लेखक अपने विचार पाठकों पर लाधना चाहता है, लेकिन इसके पीछे कुछ और ही है। लेखक कभी अपने विचारों को लोगों पर नहीं थोपता बल्कि लेखक तो अपने विचारों के साथ हमेशा खड़ा रहता है और पाठकों तक अपने विचार पहुंचाता है।
अब यह पाठकों पर निर्भर करता है कि वह उसे किस दिशा की ओर ले, इस पुस्तक में लिखे विचार किसी का समर्थन नहीं करते, बल्कि सामाजिक विचारों को तथ्य के आधार पर इस पुस्तक को लिखा गया है। इस पुस्तक की खास बात यही है कि इस पुस्तक में विचारों की स्वतंत्रता है। लोकतंत्र की झलक है, शब्दों में कड़वाहट जरूर हो सकते हैं किंतु सत्य को कोई असत्य नहीं बता सकता। वह जीवन भर सत्य ही रहेगा।
इस पुस्तक में क्या सही है और क्या गलत इसे ही बताया गया है और उसके पीछे की वास्तविकता को बड़ी बारीकी से लेखक ने दर्शाया है। इस पुस्तक का लिखने का एकमात्र उद्देश्य केवल और केवल लोगों को राजनीति के विषय पर जागरूक करना है, जिससे समाज में चल रहे सही और गलत को हर इंसान समझ सके क्योंकि राजनीति यह सभी के जीवन में अपना असर डालता है और लोग सही मायनो में राजनीति से जुड़े रहते हैं।