लंपी में शुरुआत हुई, करीब सालभर पूर्व शिफ्टिंग की
लंपी महामारी में गोवंश की मौतों के सिलसिले के दौरान गोसेवा के जज्बे से इस संगठन ने बिशनगढ़ रोड पर गोवंश रेस्क्यू सेंटर की शुरुआत की। यह सेवा केंद्र लंपी महामारी के दौरान सुचारू रहा। करीब एक साल से अब इसे गोल निंबड़ी से लेटा जीएसएस बाइपास पर संचालित किया जा रहा है। वर्तमान में डायाराम माली पुत्र छोगाजी माली ने संस्थान के लिए जमीन मुहैया होने तक गोसेवा के लिए अपनी जमीन गऊ रक्षा सेवा संस्थान को सेवा कार्य के लिए समर्पित कर रखी है।
सोलर ऊर्जा से चल रहे कूलर, पंखे
यहां गोवंश की सेवा के लिए पूरा सिस्टम प्रकृति आधारित और जन सेवा की भावना पर निर्भर है। पंखे, कूलर और रात में रोशन की व्यवस्था के लिए 6 केवी का सोलर लगा है। जिससे यह पूरा सिस्टम संचालित है। इधर, गोवंश के लिए चारे और पानी का प्रबंध गोसेवक और आमजन कर रहे हैं।
250 गोसेवक जुटे हैं सेवा में
सचिव अजाराम के अनुसार बहुआयामी कार्य में जिले के अलग अलग हिस्से से 250 के करीब युवा गोसेवक जुटे हैं, जो निशुल्क सेवा दे रहे है। गोसेवक इन गोवंश के लिए चारे, पानी और अन्य जरुरतों के लिए ये सभी अपने स्तर पर और सामूहिक स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। जिसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहा है।
फिर गोशालाओं में छोड़ते हैं गायों को
गऊ रक्षा सेवा संस्थान में अक्सर बीमार और गंभीर घायल गायें आती है। वर्तमान में बागोड़ा, जीवाणा, सायला, सियावट समेत 100 किमी के दायरे से गायें यहां मौजूद है। यहां इन गोवंश के उपचार के लिए मेडिकल टीम मौजूद है। उपचार के बाद स्वस्थ होने पर इन गोवंश को आस पास गांवों में स्थित गोशालों में भेजा जाता है।
इनका कहना
गोवंश की सेवा का कार्य संगठन की ओर से लंपी महामारी के दौरान शुरु किया गया था। सेवा कार्य में काफी लोगों से रुचि दिखाई, जिसके बाद इसमें एक बड़ा समूह सेवा कार्य के लिए जुटा हुआ है। बीमार गोवंश का उपचार जारी है। – छगनलाल, अध्यक्ष, गऊ रक्षा सेवा संस्थान