Lok Sabha Elections 2024 : बेटे को नहीं बनवा पाए सांसद
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Former CM Ashok Gehlot) ने अपने बेटे वैभव (Vaibhav Gehlot) को जोधपुर की बजाए इस बार प्रदेश की हॉट सीटों में से एक जालोर-सिरोही से टिकट दिलवाया था। सबकी नजरें इस बात पर थी कि क्या पूर्व मुख्यमंत्री अपने बेटे को सांसद बनवा पाएंगे या नहीं? इस सीट पर वैभव और लुम्बाराम चौधरी के बीच रोचक मुकाबला रहा क्योंकि दोनों ही उम्मीदवार क्षेत्र के लिए नए उम्मीदवार थे। वैभव को टिकट दिलवाने के बाद अशोक गहलोत ने यहां ताबड़तोड़ जनसभाएं और रोड शो किए गए।
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Former CM Ashok Gehlot) ने अपने बेटे वैभव (Vaibhav Gehlot) को जोधपुर की बजाए इस बार प्रदेश की हॉट सीटों में से एक जालोर-सिरोही से टिकट दिलवाया था। सबकी नजरें इस बात पर थी कि क्या पूर्व मुख्यमंत्री अपने बेटे को सांसद बनवा पाएंगे या नहीं? इस सीट पर वैभव और लुम्बाराम चौधरी के बीच रोचक मुकाबला रहा क्योंकि दोनों ही उम्मीदवार क्षेत्र के लिए नए उम्मीदवार थे। वैभव को टिकट दिलवाने के बाद अशोक गहलोत ने यहां ताबड़तोड़ जनसभाएं और रोड शो किए गए।
यही नहीं, पूर्व सीएम सहित पूरे परिवार ने इस सीट पर वैभव की जीत के लिए कड़ी मेहनत की, लेकिन भाजपा इस किले को भेद नहीं पाए। पूर्व सीएम के बेटे के यहां से चुनाव लडऩे के चलते जालोर प्रदेश की हॉट सीट में शुमार हो गई थी। इस सीट पर आखिरी बार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री रहे बूटा सिंह ने जीत दर्ज की थी। उसके बाद से यह सीट कांग्रेस के हाथ से ऐसे फिसली की पार्टी इस पर उसके बाद से कभी जीत ही दर्ज नहीं कर पाई। चुनावी प्रचार के दौरान पूर्व सीएम गहलोत का फोकस जालोर सीट पर रहा, लेकिन इसके बावजूद वह अपने बेटे को जीत नहीं दिलवा पाए।
2019 में जोधपुर से लड़ा था चुनाव
वैभव को कांग्रेस ने इससे पहले 2019 में जोधपुर लोकसभा सीट से उतारा था। जोधपुर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गढ़ होने के साथ साथ गृह जिला भी है। 2019 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और पार्टी को पूरा विश्वास था कि वैभव जोधपुर से जीत दर्ज करने में कामयाब जरूर होंगे। भाजपा ने उनके सामने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को मैदान में उतारा। शेखावत यहां से जीत दर्ज करने में कामयाब रहे। करीब 20 साल से जालोर सीट हार रही कांग्रेस ने इस बार यहां से वैभव को मौका दिया। पार्टी को उम्मीद थी कि वह जीत का सूखा दूर करने में सफल होंगे, लेकिन इस बार भी पिता की कड़ी मेहनत और वैभव की कैंपैंनिंग के बावजूद उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
वैभव को कांग्रेस ने इससे पहले 2019 में जोधपुर लोकसभा सीट से उतारा था। जोधपुर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गढ़ होने के साथ साथ गृह जिला भी है। 2019 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और पार्टी को पूरा विश्वास था कि वैभव जोधपुर से जीत दर्ज करने में कामयाब जरूर होंगे। भाजपा ने उनके सामने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को मैदान में उतारा। शेखावत यहां से जीत दर्ज करने में कामयाब रहे। करीब 20 साल से जालोर सीट हार रही कांग्रेस ने इस बार यहां से वैभव को मौका दिया। पार्टी को उम्मीद थी कि वह जीत का सूखा दूर करने में सफल होंगे, लेकिन इस बार भी पिता की कड़ी मेहनत और वैभव की कैंपैंनिंग के बावजूद उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
कभी कांग्रेस का गढ़ थी जालोर सीट
जालोर-सिरोही लोकसभा सीट किसी समय कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी। बूटा सिंह यहां से कई बार सांसद चुने गए। लेकिन, 2004 से भाजपा इस सीट पर लगातार जीतती आ रही है। यहां से सबसे पहले सुशीला बंगारू ने जीत दर्ज कर यह सीट भाजपा के पाले में डाली थी। उसके बाद हुए तीन आम चुनावों में देवजी एम. पटेल ने जीत की हैट्रिक लगाकर सीट पर भाजपा का कब्जा बरकरार रखा। वहीं, 2024 के चुनाव में भाजपा ने लुम्बाराम
जालोर-सिरोही लोकसभा सीट किसी समय कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी। बूटा सिंह यहां से कई बार सांसद चुने गए। लेकिन, 2004 से भाजपा इस सीट पर लगातार जीतती आ रही है। यहां से सबसे पहले सुशीला बंगारू ने जीत दर्ज कर यह सीट भाजपा के पाले में डाली थी। उसके बाद हुए तीन आम चुनावों में देवजी एम. पटेल ने जीत की हैट्रिक लगाकर सीट पर भाजपा का कब्जा बरकरार रखा। वहीं, 2024 के चुनाव में भाजपा ने लुम्बाराम