ड्रिप सिंचाई पद्धति, जैविक तकनीकों को अपनाया
उसने बताया कि बीते कई वर्षों से परंपरागत खेती कर रहा था, लेकिन बीते कुछ वर्षों से क्षेत्र में भू-जल स्तर कम होने की वजह से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। पानी की कमी के चलते ड्रिप सिंचाई पद्धति से खेती करने की सोची। जिसमें पानी कम लगे और फसलों की पैदावार भी ज्यादा मिल सके। प्रथम वर्ष किसान की ओर से अनार के बगीचे में रसायनों का प्रयोग करने से अत्यधिक खर्चा आया। इस खर्च को कम करने के लिए किसान ने 100 प्रतिशत जैविक तरीके से अनार की खेती करने का निश्चय किया। उसने जैविक तकनीकों को अपनाया। वर्तमान में एक अनार के पौधे से लगभग 10 से 15 किलो अनार का उत्पादन होता है। जिसकी कीमत बाजार में औसतन 100 रुपए प्रतिकिलो तक मिल जाती है। कृषि विज्ञान केन्द्र पोकरण के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ.दशरथप्रसाद ने बताया कि वर्तमान समय के सापेक्ष में कृषि रसायनों पर निर्भर न रहकर उत्पादन की लागत कम कर अधिक मुनाफा कमा सकते है और मनुष्य एवं पशुओं को इन रसायनों के प्रतिकूल प्रभाव से बचा सकते है।