… और गिर पड़ा छत का प्लास्टर
राजकीय जिला चिकित्सालय भवन के पीछे की तरफ मेल वार्ड स्थित है। वार्ड में १० से १२ बैड लगे हुए है। गत कुछ दिनों से बारिश के दौरान छत से पानी टपकने के कारण एक बैड हटा दिया गया है। रविवार देर शाम जिस जगह से पानी टपक रहा था, वहां अचानक छत का प्लास्टर उखड़कर गिर गया। इस दौरान आसपास बैड पर सो रहे मरीजों व साथ बैठे परिजनों में अफरा-तफरी मच गई। गनीमत रही कि यहां बैड व मरीज नहीं होने से किसी को चोट नहीं लगी। जिससे बड़ा हादसा टल गया।
टपक रहा पानी भी
बारिश के अलावा छत पर रखे कूलर के कारण भी पानी एकत्र हो रहा है, जो क्षतिग्रस्त दीवार के कारण टपक रहा है। रविवार शाम प्लास्टर उखडऩे के बाद अभी तक पानी टपक ही रहा है। टपकते पानी को रोकने और छत की मरम्मत करवाने को लेकर जिम्मेदारों की ओर से कोई कवायद नहीं की जा रही है। ऐसे में प्लास्टर के साथ ही छत के गिरने और मरीज या परिजनों के चपेट में आ जाने से किसी बड़े हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता।
करंट फैलने का खतरा
अस्पताल के वार्डों की छत पर पंखें, लाइटें भी लगे हुए है। छत के क्षतिग्रस्त होने के कारण लगातार पानी टपक रहा है। कई बार पानी पंखों व लाइटों में भी चला जाता है। ऐसे में यहां करंट फैलने का खतरा भी बना हुआ है। ऐसे मे यहां हादसे की आशंका बनी हुई है।
पत्र भी लिखा, नहीं मिली राशि
अस्पताल प्रशासन की ओर से गत दिनों इस संबंध में जिला कलक्टर को एक पत्र भी लिखा गया था। गत १५ जुलाई को प्रमुख चिकित्साधिकारी ने जिला कलक्टर को एक पत्र प्रेषित कर बताया था कि अस्पताल का भवन वर्षों पुराना है, जिसकी कई वर्षों से मरम्मत नहीं हुई है। जिसके कारण आए दिन छतों से पानी टपकता है और प्लास्टर भी गिर जाता है। जिससे आए दिन छतों पर लगे पंखें व लाइटें खराब हो जाते है। जिससे मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने जिला चिकित्सालय की छत की मरम्मत, प्रसव कक्ष, शिशु वार्ड, प्रसूति वार्ड, महिला एवं पुरुष वार्ड, शौचालय की मरम्मत, पानी की फीटिंग एवं अस्पताल परिसर का रंग रोगन आदि कार्य, जिसकी अनुमानित लागत ४५-५० लाख रुपए है, करवाने का आग्रह किया है, ताकि मरीजों व परिजनों को गुणवत्तापूर्वक चिकित्सा सुविधा प्रदान की जा सके।