लाठी क्षेत्र में गत छह माह से अपना डेरा डालकर बैठे प्रवासी पक्षी तिलोर ने पुन: स्वदेश का रुख कर लिया है। इस वर्ष लाठी क्षेत्र में करीब 200 तिलोर ने अपना डेरा डाला था। भीषण गर्मी का दौर शुरू होने के साथ तिलोर ने स्वदेश का रुख कर लिया है। सर्दी के मौसम में सरहदी जिले में इनका प्रवास होता है तथा चार से छह माह तक यहां निवास करते है। लाठी व आसपास क्षेत्र में तिलोर देखे गए। जानकारों के अनुसार जैसलमेर सरहद से सटे पाकिस्तान और उसके आसपास क्षेत्रों में तिलोर का शिकार किया जाता है। विगत कई वर्षों से ये तिलोर भारत की तरफ अपना रुख कर रहे है। तिलोर के झुंड थार के रेगिस्तानी इलाकों में सर्दी ऋतु के आगमन के साथ ही आने शुरू हो जाते है। गौरतलब है कि तिलोर विशेष रूप से शुष्क पठारी क्षेत्रों का मूल पक्षी है,जो मिश्र के सिनाई प्रायद्वीप से कजाकिस्तान और पूर्व में मंगोलिया तक आमतौर पर विचरण करते है। छह माह तक तिलोर ने यहां प्रवास किया। लाठी क्षेत्र में स्वच्छंद विचरण करता टिलोर पक्षी। लाठी क्षेत्र में स्वच्छंद विचरण करता टिलोर पक्षी।
लाठी क्षेत्र में गत छह माह से अपना डेरा डालकर बैठे प्रवासी पक्षी तिलोर ने पुन: स्वदेश का रुख कर लिया है। इस वर्ष लाठी क्षेत्र में करीब 200 तिलोर ने अपना डेरा डाला था। भीषण गर्मी का दौर शुरू होने के साथ तिलोर ने स्वदेश का रुख कर लिया है। सर्दी के मौसम में सरहदी जिले में इनका प्रवास होता है तथा चार से छह माह तक यहां निवास करते है। लाठी व आसपास क्षेत्र में तिलोर देखे गए। जानकारों के अनुसार जैसलमेर सरहद से सटे पाकिस्तान और उसके आसपास क्षेत्रों में तिलोर का शिकार किया जाता है। विगत कई वर्षों से ये तिलोर भारत की तरफ अपना रुख कर रहे है। तिलोर के झुंड थार के रेगिस्तानी इलाकों में सर्दी ऋतु के आगमन के साथ ही आने शुरू हो जाते है। गौरतलब है कि तिलोर विशेष रूप से शुष्क पठारी क्षेत्रों का मूल पक्षी है,जो मिश्र के सिनाई प्रायद्वीप से कजाकिस्तान और पूर्व में मंगोलिया तक आमतौर पर विचरण करते है। छह माह तक तिलोर ने यहां प्रवास किया। लाठी क्षेत्र में स्वच्छंद विचरण करता टिलोर पक्षी। लाठी क्षेत्र में स्वच्छंद विचरण करता टिलोर पक्षी।