मुख्य चौराहे पर शरबत व प्रसाद का वितरण
इस मौके पर सिख समाज की ओर से कस्बे के जयनारायण व्यास सर्किल पर सोमवार को दिन भर सेवा केन्द्र लगाकर यहां आने वाले प्रत्येक व्यक्ति, वाहन चालक व राहगीर को रोककर व आग्रह कर शरबत पिलाया गया और प्रसाद के रूप में चने का वितरण किया गया, जिसमें कारसेवकों ने दिनभर सेवा कार्य किया। विशेष रूप से सेना व बीएसएफ के जवानों ने भी यहां कार सेवा की और लोगों को मनुहार कर शरबत पिलाया व चने के प्रसाद का वितरण किया।
धर्म की रक्षा के लिए गुरु ने दिया बलिदान
सेवादार निछतरसिंह ने बताया कि सिखों के पांचवें गुरु संत अर्जुनदेव महाराज का जन्म 1563 ई. में हुआ। उन्होंने अपना बचपन पंजाब के गोविंदवाल शहर में बिताया और 11 वर्ष की अल्पायु में ही उन्होंने धर्म, शास्त्रों की पढ़ाई शुरू की एवं सिख समाज की सेवा में लग गए। 1581 में उन्हें गुरु गद्दी पर बिठाया गया। उन्होंने सिक्ख समाज के सिद्धांत व आदर्शों का प्रचार प्रसार किया। सिक्ख समाज की ओर से उनके बलिदान को याद करते हुए इस दिन को शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।