पहले, जो पर्यटक सीमा दर्शन की इच्छा रखते थे, उन्हें तनोट में बीएसएफ की चौकी पर लंबी लाइनों में लगकर पास बनवाने की मशक्कत करनी पड़ती थी। लेकिन अब, इस प्रक्रिया को बेहद आसान और आकर्षक बना दिया गया है। श्री तनोट माता ट्रस्ट ने बॉर्डर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक नई पहल की है, अब सैलानी ऑनलाइन ई-पास के जरिए सीमा दर्शन कर सकेंगे।
बस, अपने स्मार्टफोन या कंप्यूटर पर www.shritanotmatamandirtrust.com पर जाएं, और वहां दिए गए फॉर्म में अपनी आवश्यक जानकारी भरें। कुछ ही मिनटों में, आपका ई-पास जारी हो जाएगा, जिससे आपको सीधे तनोट से 20 किलोमीटर दूर बबलियान चौकी पर जाने की अनुमति मिल जाएगी। इस पास के साथ, आप बिना किसी रुकावट के सीमा तक पहुंच सकते हैं, जहां आप भारत-पाकिस्तान की वास्तविक अंतरराष्ट्रीय सीमा का अनुभव कर सकते हैं, वो भी निकट से।
तनोट माता मंदिर और बॉर्डर की अनोखी कहानी
तनोट माता मंदिर केवल आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि वीरता और साहस का भी प्रतीक है। 1971 के युद्ध में, पाकिस्तान द्वारा इस क्षेत्र में गिराए गए 3,000 से अधिक बम विस्फोट नहीं कर पाए थे, एक अद्भुत चमत्कार जिसने इस मंदिर को विशेष मान्यता दिलाई।
इसके बाद, बीएसएफ ने मंदिर की देखभाल की जिम्मेदारी संभाली, और आज भी यहां युद्ध के समय के कुछ जीवित बम संरक्षित हैं, जो इतिहास के उन साहसिक पलों की गवाही देते हैं। नई ऑनलाइन ई-पास सेवा के जरिए, पर्यटक न केवल सीमा के दर्शन कर सकेंगे, बल्कि सीमा शक्ति दर्शन के तहत विकसित हो रहे अन्य आकर्षण स्थलों का भी आनंद ले सकेंगे।
सीमा दर्शन का एक नया रोमांच
अब
जैसलमेर आने वाले हर पर्यटक के लिए सीमा का अनुभव और भी रोमांचक और सुविधाजनक हो गया है। इस नई सुविधा से पर्यटन को एक नया आयाम मिलेगा और जैसलमेर की यात्रा एक अविस्मरणीय अनुभव बन जाएगी। जैसलमेर के अनमोल धरोहरों के साथ अब सीमा दर्शन भी एक यादगार सफर का हिस्सा होगा, जो हर सैलानी के दिल में बसा रहेगा