जयपुर

वर्ल्ड स्पाइन डे : राजस्थान में सड़क हादसों में 43 प्रतिशत लोगों को होती है स्पाइन इंजरी

राजस्थान में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में सिर से ज्यादा चोटें हमारी रीढ़ की हड्डी में लग रही है।

जयपुरOct 16, 2024 / 09:54 pm

Manish Chaturvedi

Lifestyle news Health Alert
on world Spine Day 2024

जयपुर। राजस्थान में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में सिर से ज्यादा चोटें हमारी रीढ़ की हड्डी में लग रही है। एक आंकड़े के अनुसार प्रदेश में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में चोटिल होने वाले 43 प्रतिशत लोगों में रीढ़ की चोटें होती हैं। अगर ये चोट गंभीर हुई तो व्यक्ति को कमर से नीचे पैरालिसिस या मल मूत्र का नियंत्रण खोने जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इटर्नल हॉस्पिटल के सीनियर न्यूरो एंड स्पाइन सर्जन डॉ. सुशील तापड़िया और डॉ. हिमांशु गुप्ता ने स्पाइन से जुड़ी समस्याओं और उसके इलाज पर जानकारी दी।
डॉ. सुशील ने बताया कि स्पाइनल कॉर्ड इंजरी की भयावहता इस बात से लगाई जा सकती है कि लोगों में होने वाले पैरालिसिस के मामलों में दूसरा सबसे बड़ा कारण स्पाइनल कॉर्ड इंजरी है। देश में पैरालिसिस के कुल केसों में 27 प्रतिशत कारण रीढ़ की चोट है। इनमें ज्यादातर केस कमर के नीचे के लकवे के होते हैं।
डॉ. हिमांशु गुप्ता ने बताया कि देश में 50 लाख लोगों को स्कोलियोसिस (रीढ़ के टेढ़े होने) की समस्या है। पांच प्रतिशत बच्चों में रीढ़ के टेढ़े होने की समस्या पाई जा रही है। अगर व्यक्ति का वजन अधिक है तो स्कोलियोसिस होने का खतरा पांच गुना बढ़ जाता है। डॉ. हिमांशु ने बताया कि स्पाइन से जुड़ी समस्याओं के लिए अब सर्जरी काफी आसान हो गई हैं। स्पाइन की महीन नसों पर दबाव न पड़े, इसका विशेष ध्यान रखा जाता है लेकिन फिर भी जटिलताओं का खतरा रहता है। अब इंट्राऑपरेटिव न्यूरो मॉनिटरिंग तकनीक से इस जटिलता को बेहद कम किया जा सकता है। इस तकनीक से सर्जरी के दौरान ही सर्जन को लाइव डेटा मिलते रहता है कि वे स्पाइन के अनावश्यक हिस्से को नहीं छेड़ रहे।

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