सौ साल से पुराने हो गए ये पेड़
बस्सी रजिस्ट्रार कार्यालय के सामने दुकान चलाने वाले लक्ष्मीनारायण मीना ने बताया कि उनके दादा श्रवण लाल बस्सी में ही सार्वजनिक निर्माण विभाग में सरकारी नौकरी करते थे। उनके वक्त पर बस्सी चक से सारण तिराहे तक सड़क के दोनों ओर बीस-बीस फीट के फांसले पर ये पेड़ सार्वजनिक निर्माण विभाग ने लगवाए थे। उस वक्त वे इन पौधाें में मटकियों में पानी भर-भरकर पानी देते थे।
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कटाई -छंगाई नहीं होने से भारी हो गए पेड़
बस्सी चक से लेकर सारण तिराहे तक लगे इन नीम के पेड़ों की कटाई छंगाई नहीं होने से ये पेड भारी हो गए हैं। वहीं अधिकांश पेड़ अंदर से खोखले भी हो गए हैं। ऐसे में अंधड़ में गिर जाते हैं। इधर जयपुर – आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग से बस्सी शहर होते हुए गंगापुर, लालसोट व सवाईमाधोपुर, करौली आदि जाने वाले इस जयपुर – गंगापुर स्टेट हाइवे पर दिनभर भारी ट्राफिक चलता है। ऐसे में यदि दिन के समय कोई पेड़ गिर गया तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
जेडीए से लेनी पड़ती है अनुमति
बस्सी चक से जाने वाले यह मार्ग मण्डी तक जेडीए के अधीन आता है। ऐसे में ये पेड़ भी जेडीए के अधीन ही आते हैं। इनकी कटाई व छंगाई नगरपालिका व सार्वजनिक निर्माण भी नहीं करा सकता है। जेडीए से अनुमति लेनी पड़ती है। जेडीए से अनुमति लेने में बड़ी प्रक्रिया है। यही कारण है कि लोगों का कहना है कि इन पेड़ों की कटाई व छंगाई नहीं हो पाई है।
बिजली की लाइन में भी आती है दिक्कत
विद्युत निगम के सहायक अभियंता सीएल सैनी ने बताया कि सड़क के बगल में होकर आ रही बिजली लाइन के तारों में नीम के पेड़ों की टहनियां से बार -बार फॉल्ट व टि्रपिंग की समस्या आती है। यदि पेड़ों की छंगाई हो जाए तो फाॅल्ट की समस्या से निजात पाया जा सकता है।