Rajasthan CM Face : राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री का नाम तय करने के लिए भाजपा ने चयन का दायरा बढ़ा दिया है। ऐसे नामों पर भी विचार शुरू हो गया है, जिन्हें रणनीति के तहत विधानसभा चुनाव में नहीं उतारा गया। इसमें लोकसभा, राज्यसभा के सांसदों के साथ संगठन से जुड़े कुछ बड़े नाम भी शामिल हैं। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्र ने कहा कि जरूरी नहीं कि किसी विधायक को ही मुख्यमंत्री बनाया जाए बल्कि संगठन या केन्द्रीय सियासत में सक्रिय नेता को भी यह जिम्मेदारी दी जा सकती है।
दरअसल, भाजपा तीनों राज्यों में ऐसी सरकार चाहती है, जो लोकसभा चुनाव से पहले लोगों को सबका साथ, सबका विकास और बेहतर प्रबंधन का सकारात्मक संदेश दे सके। इसके लिए राजनीतिक एवं प्रशासनिक अनुभव को तरजीह देने की मंशा से पार्टी ने अब गैर विधायकों के नामों पर भी विचार शुरू कर दिया है। तीन केंद्रीय मंत्रियों सहित 12 सांसदों के बुधवार को इस्तीफा देने से ऐसी अटकलों को पंख लग गए हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी संगठन से सीधे मुख्यमंत्री बनकर गुजरात मॉडल को देश के सामने रखा था। तीनों राज्यों के कुछ सांसदों में पुराने नेतृत्व के प्रति शिकायत भी सुनाई देने लगी है। इसके लिए कुछ सांसदों ने गोलबंदी भी शुरू कर दी है। सांसदों का एक बड़ा धड़ा मुख्यमंत्री पद पर पुराने चेहरे को दोहराने के खिलाफ है। इन लोगों ने केन्द्रीय नेतृत्व को अपनी इस राय से अवगत भी करा दिया है। राजस्थान के विषय में यह स्थिति ज्यादा नजर आई। सांसदों की इस गोलबंदी पर जब संगठन से जुड़े बड़े केन्द्रीय नेता से पूछा गया तो उन्होंने दो टूक कहा कि अभी काफी विकल्प हैं। जरूरत हुई तो गैर विधायक को भी कमान सौंपी जा सकती है।
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नए चेहरों पर क्या है तर्क-
1) वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने तर्क दिया कि लोकसभा चुनाव से पहले नए चेहरे को बड़ी जिम्मेदारी देने से पार्टी कार्यकर्ताओं में सकारात्मक संदेश जाएगा। कोई भी कार्यकर्ता मेहनत के बूते बड़े पद पर पहुंच सकता है।
2) चौंकाने वाली नीति
एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा, यह तिलिस्म तोड़ना आसान नहीं है। मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की चौंकाने वाली नीति कायम है। यह तय है कि तीनों राज्यों में ‘सरप्राइज’ जरूर मिलेगा।
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‘नए चेहरे से ही आएगा प्रदेश में बदलाव’
राजस्थान को नए मुख्यमंत्री के इंतजार के बीच राजधानी दिल्ली में प्रदेश के सांसदों ने भी गोलबंदी शुरू कर दी है। अधिकांश लोकसभा और राज्यसभा सांसद राज्य में नया और सर्वमान्य चेहरा ही सीएम चाहते हैं।
चुनावी नतीजों के बाद जयपुर में विधायकों के साथ चल रही दबाव की राजनीति और शक्ति प्रदर्शन के बारे में सांसदों ने कहा कि इस तरह की राजनीति भाजपा में स्वीकार्य नहीं है।
– सांसदों ने कहा कि राजस्थान को इस बार नया मुख्यमंत्री मिलने वाला है। हालांकि मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की सूची में शामिल सांसदों ने मौन साधा हुआ है।
– एक सांसद ने कहा कि भाजपा में संगठनात्मक और सत्ता में भागीदारी उसी को मिलती है, जिसने व्यक्ति के बजाय पार्टी के प्रति निष्ठा दिखाई है।
– यही कारण रहा कि इस बार विधानसभा चुनाव में जिताऊ नजर आ रहे कई दिग्गजों को भी टिकट से वंचित कर दिया गया। यही संकेत अब सरकार के गठन में भी नजर आएंगे।
सीएम के साथ दो डिप्टी सीएम!
– राज्य के करीब आधा दर्जन सांसद प्रदेश के चुनावी नतीजे आने के बाद पल-पल की गतिविधियों पर निरंतर नजर रखकर फीडबैक भी पहुंचा रहे हैं।
– एक केन्द्रीय नेता ने कहा कि संभव है, इस बार राजस्थान में मुख्यमंत्री के साथ दो उप मुख्यमंत्री भी बनाए जाएं। पहली बार प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के लिए कई नाम कतार में हैं।