ये पहले ही हो चुके हैं बाहर
पूर्व गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया अब असम के राज्यपाल हैं। वे भी पार्टी के अनुभवी नेता रहे हैं। वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी को भी विधानसभा का लंबा अनुभव है, लेकिन वो राज्यसभा सांसद बन चुके हैं। राव राजेंद्र 2018 में चुनाव हारे थे और इस बार उन्हें टिकट नहीं दिया गया।
इन नेताओं से आस
भाजपा की बात की जाए तो वरिष्ठता के नाम पर तीन विधायक हैं। कालीचरण सराफ, वासुदेव देवनानी और किरोड़ी लाल मीणा। इन तीनों विधायकों के भरोसे ही पार्टी की विधानसभा में विपक्ष के हमलों का जवाब देगी। हालांकि विधानसभाध्यक्ष का भी चयन किया जाना है। संभावना है कि इन तीनों में से किसी एक को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है।
कांग्रेस के पास 69 का आंकड़ा
कांग्रेस की बात की जाए तो इस बार 69 सीटों पर पार्टी को जीत मिली है। इसमें संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल को भी जीत मिली है। विधानसभा में कांग्रेस का फ्लोर मैनेजमेंट वहीं संभालते रहे हैं। प्रदेशाध्यक्ष गोविंद डोटासरा भी अनुभवी हैं और उन्होंने विधानसभा में कई बार सत्तापक्ष की बात को मजबूती से रखा है।