“बीसलपुर डेम में बारिश का जलवा… पानी का बंपर फायदा!” जानें क्यों हो रहा ऐसा डेढ़ लाख हैक्टेयर से ज्यादा जमीन पर लहराएगी फसलें गौरतलब है कि इस साल निर्माण के बाद बीसलपुर डेम पहली बार सितंबर माह में ओवरफ्लो हुआ। अब तक बांध के इतिहास पर यदि नजर डालें तो यह अगस्त माह में ही छलका है लेकिन इस बार बीसलपुर बांध अपना इतिहास नहीं दोहरा सका। हालांकि आज 26वें दिन भी बांध छलक रहा है जिससे टोंक जिले में बांध के डूब क्षेत्र के आस पास बसे किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। किसानों को वर्ष 2022 के बाद लगातार तीसरे साल भी कृषि के लिए बांध से पानी मिलने वाला है। जिससे डूब क्षेत्र में करीब डेढ़ लाख हैक्टेयर से ज्यादा कृषि भूमि पर इस साल फसलों की बंपर पैदावार होने की उम्मीद है।
लौटते मानसून का बीसलपुर डेम को तोहफा… जानिए त्रिवेणी से क्यों अटका रेडियल गेट… फैक्ट फाइल
बीसलपुर बांध परियोजना
बांध का 1985 में हुआ था शिलान्यास
1987 में बांध का शुरू हुआ निर्माण
1996 में बांध बनकर तैयार
832 करोड़ रुपए आई लागत
बीसलपुर बांध परियोजना
बांध का 1985 में हुआ था शिलान्यास
1987 में बांध का शुरू हुआ निर्माण
1996 में बांध बनकर तैयार
832 करोड़ रुपए आई लागत
जल भराव क्षमता
315.50 आरएल मीटर कुल जल भराव क्षमता
38.708 टीएमसी पानी का होता है भराव अब तक सात बार बांध ओवरफ्लो
2004 में निर्माण के बाद पहली बार गेट खुले
2006 में दूसरी बार छलका बांध
2014 में तीसरी बार खोले गए गेट
2016 में भी बांध के खुले गेट
2019 में बांध के 17 गेट खोले
2022 में भी छलका बांध
2024 में इस बार सातवीं बार छलका डेम
315.50 आरएल मीटर कुल जल भराव क्षमता
38.708 टीएमसी पानी का होता है भराव अब तक सात बार बांध ओवरफ्लो
2004 में निर्माण के बाद पहली बार गेट खुले
2006 में दूसरी बार छलका बांध
2014 में तीसरी बार खोले गए गेट
2016 में भी बांध के खुले गेट
2019 में बांध के 17 गेट खोले
2022 में भी छलका बांध
2024 में इस बार सातवीं बार छलका डेम
बीसलपुर डेम को विदाई से पहले मानसून ने दी बूस्टर डॉज… जानिए अब आगे क्या होगा खेल… बांध का उद्देश्य बांध का मुख्य उद्देश्य जयपुर, अजमेर में जलापूर्ति के साथ ही टोंक जिले में सिंचाई कार्य करना है। जिसमें 16.2 टीएमसी पानी पेयजल व 8 टीएमसी पानी सिंचाई के लिए रिजर्व रखा गया है।
बांध एक नजर में बीसलपुर डेम में कुल 18 गेट हैं जो 15गुना 14 मीटर साइज के बनाए गए हैं।
बांध की लंबाई 576 मीटर व समुद्रतल से उंचाई 322.50 मीटर है।
बांध का जलभराव क्षेत्र 25 किमी है जिसमें से कुल 21 हजार 30 हैक्टेयर भूमि जलमग्न रहती है।
बीसलपुर बांध से टोंक जिले में सिंचाई के लिए दायीं व बायीं दो मुख्य नहरों का निर्माण वर्ष 2004 में पूर्ण हुआ।
दायीं नहर की लंबाई 51 व बायीं नहर की लंबाई 18.65 किमी है। जिनसे टोंक जिले की 81 हजार 800 हैक्टेयर भूमि सिंचित होती है। दायीं मुख्य नहर से 69 हजार 393 हैक्टेयर व बायीं से 12 हजार 407 हैक्टेयर भूमि पर सिंचाई कार्य होता है।
बांध की लंबाई 576 मीटर व समुद्रतल से उंचाई 322.50 मीटर है।
बांध का जलभराव क्षेत्र 25 किमी है जिसमें से कुल 21 हजार 30 हैक्टेयर भूमि जलमग्न रहती है।
बीसलपुर बांध से टोंक जिले में सिंचाई के लिए दायीं व बायीं दो मुख्य नहरों का निर्माण वर्ष 2004 में पूर्ण हुआ।
दायीं नहर की लंबाई 51 व बायीं नहर की लंबाई 18.65 किमी है। जिनसे टोंक जिले की 81 हजार 800 हैक्टेयर भूमि सिंचित होती है। दायीं मुख्य नहर से 69 हजार 393 हैक्टेयर व बायीं से 12 हजार 407 हैक्टेयर भूमि पर सिंचाई कार्य होता है।
कहां कितनी जलापूर्ति अभी जयपुर शहर को रोजाना 500 एमएलडी से ज्यादा पानी सप्लाई हो रहा है। इसी से जुड़ी मालपुरा-दूदू पाइप लाइन से 600 गांव व सात कस्बों में भी रोजाना जलापूर्ति होती है। झिराना. चाकसू पाइप लाइन से 984 गांव व कुछ कस्बों में पानी की आपूर्ति हो रही है। अजमेर शहर समेत 1100 से ज्यादा गांव, नसीराबाद, ब्यावर, किशनगढ़,केकड़ी, सरवाड़, पुष्कर, विजयनगर समेत 8 कस्बों में बांध से रोजाना जलापूर्ति होती है। टोंक समेत देवली, उनियारा कस्बों व इससे जुड़े 436 से ज्यादा गांवों और 773 ढाणियों भी बांध से रोजाना जलापूर्ति होती है।