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Leptospirosis : कोरोना से भी खतरनाक है ‘लेप्टोस्पायरोसिस’, घर में दस्तक से पहले जान लें इसके लक्षण-बचाव

Leptospirosis Symptoms and Causes : राजस्थान में ‘कोरोना’ वायरस से भी खतरनाक वायरस मिला है। इसका नाम है ‘लेप्टोस्पायरोसिस’। राजस्थान में इसका पहला मरीज भीलवाड़ा जिले में सामने आया है। जिले के मांडलगढ़ के माकडिया निवासी गायत्री शर्मा ने बताया कि उसकी साढ़े चार साल की बेटी डिम्पल को कुछ दिन पहले तेज बुखार आया।

जयपुरJan 20, 2024 / 01:31 pm

Anant

प्रतीकात्मक तस्वीर

Leptospirosis Symptoms and Causes : राजस्थान में ‘कोरोना’ वायरस से भी खतरनाक वायरस मिला है। इसका नाम है ‘लेप्टोस्पायरोसिस’। राजस्थान में इसका पहला मरीज भीलवाड़ा जिले में सामने आया है। जिले के मांडलगढ़ के माकडिया निवासी गायत्री शर्मा ने बताया कि उसकी साढ़े चार साल की बेटी डिम्पल को कुछ दिन पहले तेज बुखार आया। शरीर पर फफोले पड़ गए। माताजी मान घर पर इलाज किया। फिर मांडलगढ अस्पताल ले गए, जहां से भीलवाड़ा रेफर कर दिया। यहां निजी अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ को दिखाया तो डिम्पल को भर्ती किया। कई जांच के बाद बीमारी पकड़ में नहीं आई। लेप्टोस्पायरोसिस की जांच करवाई तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई। उस आधार पर इलाज किया गया। डॉक्टर का मानना है कि भीलवाड़ा जिले का ही नहीं बल्कि राजस्थान का संभवतया पहला मामला है । फिलहाल, पीड़ित बालिका का निजी अस्पताल में उपचार जारी है।


क्या है यह ‘लेप्टोस्पायरोसिस’?
विशेषज्ञों के अनुसार, लेप्टोस्पायरोसिस बैक्टीरिया, कोरोना वायरस से भी खतरनाक है। जो संक्रमित जानवर ( मुख्य रूप से चूहे ) के मूत्र से या मृत जानवर से संक्रमित ऊतक के माध्यम से फ़ैलता है। जानकारी के अनुसार, चूहे ने कहीं यूरिन किया और कोई कटी त्वचा का शख्स उसके संपर्क में आए तो लेप्टोस्पायरोसिस होने की आशंका रहती है। यह बैक्टीरिया छह माह पानी में जिंदा रहता है। इस संक्रमण के फैलने के लिए जुलाई से अक्टूबर का महीना सबसे प्रभावी माना जाता है। विशेषज्ञों ने इसे इंसानों के लिए जानलेवा माना है क्योंकि, कोरोना वायरस का मृत्यु दर करीब एक से डेढ़ फीसदी है, जबकि लेप्टोस्पायरोसिस की दर 3 से 10 फीसदी है।

ऐसे फैलता है
इस बीमारी के वाहक चूहे व पालतू जानवर हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, संक्रमण एक संक्रमित जानवर के मूत्र से या मृत जानवर से संक्रमित ऊतक के माध्यम से फ़ैल सकता है। यह बैक्टीरिया निम्नलिखित के द्वारा शरीर में प्रवेश कर सकता है। इसके अलावा, जानवरों के साथ काम करना या दूषित मिट्टी, कीचड़ या बाढ़ के पानी के संपर्क में आने से इस डिजीज के होने का अधिक खतरा होता है। डॉक्टर बताते हैं कि बरसात के मौसम में यह संक्रमण काफी तेजी से फैलता है। जल जमाव और बाढ़ के कारण कीड़े-मकोड़े जैसे चूहे घरों में चले जाते हैं। जिससे ‘लेप्टोस्पायरोसिस’ का संक्रमण बढ़ जाता है।


लक्षण क्या हैं?
‘लेप्टोस्पायरोसिस’ संक्रमण के लक्षण भी अन्य बीमारियों जैसे डेंगू, टाइफाइड और वायरल हेपेटाइटिस जैसे ही हैं। आमतौर पर इसके लक्षण हल्के फ्लू जैसा ही देखा गया है। ठंड लगने के साथ तेज बुखार, तीव्र सिरदर्द, शरीर या मांसपेशियों में दर्द, लाल आंखें, भूख में कमी, दस्त या उल्टी एवं बेचैनी हो सकता है। लगभग 5-15 प्रतिशत अनुपचारित मामलों में यह गंभीर और घातक भी हो सकता है। विशेषज्ञों ने इस वायरस को घातक श्रेणी में रखा है। यदि इसके उपचार में लापरवाही या इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाता है तो यह गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है और मरीज का मस्तिष्क, फेफड़े या गुर्दे को विफल कर सकता है।

लेप्टोस्पायरोसिस का बचाव क्या हैं ?
बचाव के लिए हमें अन्य संक्रमण जैसे ही साफ- सफाई का ध्यान रखना है। खाने से पहले हाथों को अच्छे से धोना, गंदे पानी व गीले मैदानों के संपर्क में आने के बाद सफाई का खासतौर पर ध्यान रखना, अपने घरों को चूहों से मुक्त रखना, कीचड़ वाले मैदान में जाने से बचना, शरीर पर लगे घाव को साफ व कवर रखना। इसके अलावे, भोजन को हर समय ढक कर रखें। कूड़े के ढेर को ढंककर और कचरे का निपटान समय पर और उचित तरीके से करें।


लेप्टोस्पायरोसिस किसके लिए ज्यादा खतरनाक?
‘लेप्टोस्पायरोसिस’ संक्रमण का खतरा चूहों से पीड़ित परिसर में रहने वाले या काम करने वाले लोगों में अधिक होता है। इसके अलावा, खेत मजदूर, पशुचिकित्सा, सीवर श्रमिक हैं जिन्हें इससे संक्रमित होना का खतरा होता है।


उपचार और निदान क्या हैं?
यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव करते हैं तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें। लेप्टोस्पायरोसिस का निदान एक विशिष्ट मूत्र परीक्षण या रक्त परीक्षणों की एक श्रृंखला के माध्यम से किया जाता है। यदि आप संक्रमित जानवरों, या दूषित मिट्टी / पानी के संपर्क में आये हैं और उपर्युक्त लक्षण महसूस कर रहे हैं तो अपने डॉक्टर को बताएं। इसका उपचार एंटीबायोटिक्स है। डॉक्टरों के अनुसार, संक्रमण होने के 2-3 के भीतर एंटीबायोटिक्स दिया जाए को यह सबसे अच्छा काम करता है।
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