-किसी ने 40 फीट चौड़ी सड़क पर दे दी इमारत की स्वीकृति, कुछ ने बिल्डिंग टाइप डिजाइन बदली -अब सभी शहरों में स्वीकृत नक्शे, बिल्डिंग प्लान की होगी चैकिंग, सीज होंगे अधिकार जयपुर। नक्शे स्वीकृत करने, बिल्डिंग प्लान, कम्पलीशन सर्टिफिकेट (पूर्णता प्रमाण पत्र) जारी करने में फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। सरकार ने जिन पंजीकृत आर्किटेक्ट पर भरोसा जताते हुए जिम्मेदारी सौंपी, उनमें से कई ने अपनी जेब भरने के लिए नियम-कायदों को ताक पर रख दिया। किसी ने 40 फीट सड़क पर ही बिल्डिंग के नक्शे स्वीकृति कर भवन मालिक-निर्माणकर्ता को साठ फीट चौड़ी सड़क पर मिलने वाले लाभ दे दिए तो एक आर्किटेक्ट ने तो टाइम डिजाइन ही बदल दी।
इस फर्जीवाडा का खुलासा हुआ तो नगर नियोजन से जुड़े अफसरों के पैरों तले जमीन खिसक गई। ऐसे कुछ मामलों में जिम्मेदार आर्किटेक्ट्स को बाहर का रास्ता दिखाकर डिबार कर दिया। हालांकि, इनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही होगी या नहीं, अभी साफ नहीं किया गया है। राज्य सरकार अब प्रदेश के ऐसे सभी स्वीकृत नक्शे व बिल्डिंग प्लान की जांच कराने की तैयारी कर रही है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में पंजीकृत आर्किटेक्ट को अधिकारी दिए गए थे। प्रदेशभर में करीब 90 पंजीकृत आर्किटेक्ट को जिम्मेदारी दी हुई है।
अफसरों की फौज, फिर भी निजी को दे रखे हैं बड़े अधिकार -आर्किटेक्ट की ओर से जारी भवन निर्माण स्वीकृति को ही मान्य किया गया। -2500 वर्ग मीटर तक के भूखण्डों पर नक्शा और बिल्डिंग प्लान स्वीकृत करना। इसमें अधिकतम 18 मीटर ऊंचाई तक की अनुमति शामिल है।
-किसी भवन इमारत के लिए कम्पलीशन सर्टिफिकेट (पूर्णता प्रमाण पत्र) और ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (अधिवास प्रमाण पत्र) जारी करना। इसके लिए भूखंड क्षेत्रफल या ऊंचाई की बंदिश नहीं है। गंभीर : स्वीकृति सही या नहीं, चैकिंग ही नहीं
-आर्किटेक्ट को महत्वपूर्ण काम की जिम्मेदारी दी हुई है। गंभीर यह है कि पंजीकृ़त आर्किटेक्ट ने बिल्डिंग बायलॉज के अनुसार स्वीकृति दी है या नहीं, इसकी क्रॉस चैकिंग का मैकेनिज्म ही नहीं है। कोई भी अधिकारी इसे चैक ही नहीं कर रहा।्र
-बिल्डर को कम्पलीशन सर्टिफिकेट और फिर ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य है। कम्पलीशन सर्टिफिकेट में केवल फिनिशिंग कार्य की छूट है, लेकिन ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट तभी मिलता है जब बिल्डिंग और वहां रहने वाले लोगों की जरूरत से जुड़ा हर काम पूरा हो गया हो। इस सर्टिफिकेट मिलने के बाद ही बिल्डिंग में रहने के पात्र होते हैं।
ये है मामले -जयपुर में मानसरोवर के एसएफएस और मालवीय नगर में सेक्टर 6 में दो अलग-अलग भूखंडों बिल्डिंग बायलॉज के विपरीत निर्माण स्वीकृति जारी कर दी गई। -जयपुर के ही सिरसी रोड पर एक इमारत की टाइप डिजाइन में बदलाव किया गया।
-जोधपुर में कम्पलीशन सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया, जबकि इमारत का निर्माण न तो पूरा हुआ और नहीं स्वीकृत नक्शे के अनुसार।