इसमें वरिष्ठ मूर्तिकार अर्जुन लाल वर्मा की प्रदर्शित मूर्ति शिल्प में मातृत्व भावना की स्थिरता का भाव प्रदर्शित किया। जननी की सुकुमारता, वेदना तथा सुखानुभूति का भाव को नारी के गर्भ में पल रहे भ्रूण आदि मूर्ति शिल्पों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। वहीं अर्चना गुप्ता की जल रंग पद्धति में सूरजमुखी के सौंदर्य और जीवतता को देखा गया। मोनिका चौधरी ने एक्रेलिक रंगों से बनी विरासत शृंखला पर जयपुर का मुकुट हवामहल और उत्कंठा से निहारता अल्हड़ बचपन को अनमोल विरासत के प्रति सजग प्रेम को दर्शाया। भावना सक्सेना ने पेंङ्क्षटग्स में प्राकृतिक चित्रण तथा अब्स्ट्रैक पेंङ्क्षटग्स का समावेश करते हुए प्रकृति का चित्रण किया। इसके अलावा दरिया राठौड़, हेमलता कुमावत, जगदीश प्रसाद मीणा, कैलाश चंद शर्मा, खुश नारायण जांगिड़, किशन लाल खटीक, नाथूलाल वर्मा, नमोकार शर्मा, नीलू कांवरिया ने कला का प्रदर्शन किया।