हैरिटेज की रखवाली का काम हैरिटेज नगर निगम के पास है, लेकिन वह फेल है। ग्रेटर नगर निगम ने तो सांगानेर, मानसरोवर से लेकर मालवीय नगर और झोटवाड़ा में अवैध निर्माण को खुली छूट दे रखी है। आवासन मंडल ने जो सैटबेक छोड़ा था, उस जगह में अवैध निर्माण हो रहे हैं। निगम के जोन उपायुक्त से लेकर जेईएन (बिल्डिंग) और गजधर के गठजोड़ से अवैध निर्माणों की अमरबेल खूब फैल रही है। जवाहर नगर कच्ची बस्ती में रहने वाले लोगों को तो नेताओं ने सुविधाएं तक पहुंचा दीं। पेयजल व्यवस्था से लेकर पहाड़ी पर सीवर लाइन तक डाल दी गई हैं।
झूठे शपथ पत्र देकर खुल गईं 100 से अधिक अवैध इमारतें पिछले आठ माह में 100 से अधिक अवैध इमारतें खुल चुकी हैं। इनमें व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स से लेकर पीजी और फ्लैट शामिल हैं। इन इमारतों को पिछले तीन से चार वर्ष में सील किया गया था। लेकिन, झूठे शपथ पत्र लेकर इनको खोल दिया गया। हैरानी की बात यह है नियमों की पालना हो रही है या नहीं, इसको देखने के लिए जेडीए का कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा।
इकोलॉजिकल जोन में भी धड़ल्ले से हो रहे निर्माण राजधानी के इकोलॉजिकल जोन (आगरा रोड और दिल्ली रोड) पर न सिर्फ धड़ल्ले से अवैध निर्माण हो रहे हैं, बल्कि अवैध कॉलोनियां भी सृजित की जा रही हैं। इकोलॉजिकल जोन में करीब 10 अवैध कॉलोनियों का काम चल रहा है। जयसिंहपुरा खोर में नंदेश्वर महादेव मंदिर के नाम से 35 बीघा में और किल्लनगढ़ बंदड़ा की ढाणी में 51 बीघा में अवैध रूप से कॉलोनी विकसित की जा रही है। इसके अलावा आगरा रोड, ग्रीन पार्क के कॉर्नर पर मार्केट खड़ी की जा रही है। मुख्य जयपुर-आगरा हाईवे पर कई बहुमंजिला इमारतों के भी काम चल रहे हैं।
अवैध कॉलोनियों पर चला दिखावे का पीला पंजा पिछले डेढ़ वर्ष में जेडीए की प्रवर्तन शाखा ने 544 अवैध कॉलोनियों को ध्वस्त किया है। लेकिन, इनमें से कई कॉलोनियां ऐसी हैं, जहां फिर से काम शुरू हो गया। हैरानी की बात यह है कि जेडीए का दस्ता दुबारा इन कॉलोनियों पर नहीं पहुंच पाया। इकोलॉजिकल जोन में ही सर्वाधिक कॉलोनियां सृजित की गई हैं।
जनहित के आदेश दरकिनार
1- कोर्ट ने मानसरोवर में मध्यम मार्ग पर व्यावसायिक गतिविधि बंद करने के आदेश दिए, लेकिन अफसर पालना नहीं करा पाए। डर दिखाने के लिए नोटिस जारी कर देते हैं।
2-परकोटे के मुख्य बाजारों से अतिक्रमण हटाने के आदेश है, लेकिन चारों ओर अतिक्रमण है।
3. मास्टरप्लान को लेकर 12 जनवरी, 2017 को आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि शहरों में कहां बहुमंजिला इमारतें बनाई जा सकेंगी, ये राज्य सरकार तय करे। कॉलोनियों में रह रहे लोगों के जीवन पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ना चाहिए। आज तक लागू नहीं किया गया। पड़ोस में बहुमंजिला इमारतें खड़ी होने से लोग परेशान हैं।
जनहित के आदेश दरकिनार
1- कोर्ट ने मानसरोवर में मध्यम मार्ग पर व्यावसायिक गतिविधि बंद करने के आदेश दिए, लेकिन अफसर पालना नहीं करा पाए। डर दिखाने के लिए नोटिस जारी कर देते हैं।
2-परकोटे के मुख्य बाजारों से अतिक्रमण हटाने के आदेश है, लेकिन चारों ओर अतिक्रमण है।
3. मास्टरप्लान को लेकर 12 जनवरी, 2017 को आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि शहरों में कहां बहुमंजिला इमारतें बनाई जा सकेंगी, ये राज्य सरकार तय करे। कॉलोनियों में रह रहे लोगों के जीवन पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ना चाहिए। आज तक लागू नहीं किया गया। पड़ोस में बहुमंजिला इमारतें खड़ी होने से लोग परेशान हैं।