जान जोखिम में डालकर शव को मुक्तिधाम तक ले जाने की मजबूरी
झालावाड़ जिले के सुनेल क्षेत्र की ग्राम पंचायत सिरपोई के गांव खेड़ा सनोरिया में सोमवार को ग्रामीण खाळ में बहते हुए पानी में जान जोखिम में डालकर मुक्तिधाम पहुंचे और दाह संस्कार किया। ग्रामीण बद्री शर्मा ने बताया कि सोमवार तडक़े गांव की कमलाबाई का निधन हो गया। मुक्तिधाम तक जाने के लिए रास्ता नहीं है। ऐसे में मजबूरी में खाळ के बहते पानी को पार कर मुक्ति धाम तक पहुंचे और दाह संस्कार किया। ग्रामीणों का कहना है कि कई सालों से मुक्तिधाम में जाने के रास्ते की मांग करते आ रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई ही नहीं करता।
झालावाड़ जिले के सुनेल क्षेत्र की ग्राम पंचायत सिरपोई के गांव खेड़ा सनोरिया में सोमवार को ग्रामीण खाळ में बहते हुए पानी में जान जोखिम में डालकर मुक्तिधाम पहुंचे और दाह संस्कार किया। ग्रामीण बद्री शर्मा ने बताया कि सोमवार तडक़े गांव की कमलाबाई का निधन हो गया। मुक्तिधाम तक जाने के लिए रास्ता नहीं है। ऐसे में मजबूरी में खाळ के बहते पानी को पार कर मुक्ति धाम तक पहुंचे और दाह संस्कार किया। ग्रामीणों का कहना है कि कई सालों से मुक्तिधाम में जाने के रास्ते की मांग करते आ रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई ही नहीं करता।
तिरपाल लगाकर करना पड़ा अंतिम संस्कार
बूंदी जिले के नैनवां उपखण्ड के फूलेता गांव में रविवार को एक महिला की मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार करने में स्थानीय लोगों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ा। गांव के मुक्तिधाम पर टीनशेड की कमी के कारण परिवार और गांववासी बारिश के बीच अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को पूरा करने में मजबूर हुए।
बूंदी जिले के नैनवां उपखण्ड के फूलेता गांव में रविवार को एक महिला की मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार करने में स्थानीय लोगों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ा। गांव के मुक्तिधाम पर टीनशेड की कमी के कारण परिवार और गांववासी बारिश के बीच अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को पूरा करने में मजबूर हुए।