लेह पहुंचने के बाद उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता, पर्यावरणविद् सोनम वांग्चुक के साथ दो दिन एक रात नमक का पानी पीकर अनशन किया। खान ने बताया कि वह केवल 2 हजार रुपए लेकर घर से निकलीं। इस यात्रा में उनके कई दोस्तों ने उनकी काफी मदद की। हवाई यात्रा से लेकर रेलवे का सफर यादगार रहा। इस दौरान भी लोगों को पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूक किया।
सोनम वांग्चुक से की चर्चा
शगुफ्ता ने बताया कि पर्यावरणविद् सोनम वांग्चुक से सस्टेनेबिलिटी, नॉइज पॉल्यूशन जैसे मुद्दों पर काफी चर्चा की, साथ ही अलग-अलग राज्यों में पर्यावरण संबंधी जो भी समस्याएं देखी वो भी उनसे साझा की। वांग्चुक ने उन्हें पढ़ाई पर ध्यान देने का संदेश दिया है, वे जितना पढ़ेगी, उतना पर्यावरण की तकलीफों को बेहतर तरीके से जान पाएगी। शगुफ्ता ने बताया कि लेह की यात्रा से पहले वह भारत के कई क्षेत्रों में घूमना चाहती थी, ताकि वे वहां की समस्याएं आंखों से देख सकें और सोनम वांग्चुक से उसकी चर्चा कर सकें। जब वे इस सफर पर निकली, उसी दौरान ट्रेन में कई बार लोग बाहर कचरा फेंकते मिले, ट्रेन में गंदगी नजर आई। लोगों को जागरूक किया और पर्यावरण नुकसान के बारे में लोगों को बताया। वे कहती हैं कि पर्यावरण को लेकर लोग जागरूक नहीं है।