गहलोत ने टीवी को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘पायलट साहेब ने कहा था कि मेरा बेटा वैभव जोधपुर से बड़े अंतर से जीतेगा। इस लोकसभा क्षेत्र में हमारे छह विधायक हैं और हमारा चुनावी प्रचार वहां शानदार था। इसलिए मुझे लगता है कि पायलट को कम से कम इस सीट की जि़म्मेदारी लेनी चाहिए. जोधपुर सीट का पूरा पोस्टमॉर्टम किया जाना चाहिए कि आखिर हम वहां जीते क्यों नहीं?’
गहलोत ने आगे कहा, ‘पायलट ने कहा था कि हम जोधपुर जीत जीत रहे हैं. इसलिए वैभव को पार्टी से टिकट मिला. हम 25 की 25 सीटें हार गए. अगर कोई कहता है कि मुख्यमंत्री या पीसीसी प्रमुख को जिम्मेदारी लेनी चाहिए तो मेरा मानना है कि ये सबकी जिम्मेदारी है।’ उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष के बीच मीडिया गलतफहमी फैलाती है। सूत्रों के अनुसार सीएम गहलोत ने अपने बेटे को टिकट दिलाने का आलाकमान पर दबाव डाला था। उन्होंने चुनाव में वैभव गहलोत का जोर—शोर से प्रचार भी किया। इसके बावजूद वे सीट नहीं बचा सके।
मोहल्ले वालों ने भी नहीं दिया साथ
लोकसभा चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आस—पास के लोगों ने भी उनका साथ नहीं दिया। मुख्यमंत्री ने जहां अपना बचपन गुजारा, जिस महामंदिर क्षेत्र में उनका पुश्तैनी घर है। वहां के निवासियों ने भी उन्हें पूरा साथ नहीं दिया। जिस बूथ पर गहलोत ( Jodhpur Lok Sabha Seat ) ने वोट दिया, वहां कांग्रेस 300 से ज्यादा वोटों से पीछे रही। जबकि 4 माह पहले विधानसभा चुनाव में गहलोत ने जिस बूथ पर वोट दिया, वहां कांग्रेस को 150 वोटों से बढ़त मिली थी।
लोकसभा चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आस—पास के लोगों ने भी उनका साथ नहीं दिया। मुख्यमंत्री ने जहां अपना बचपन गुजारा, जिस महामंदिर क्षेत्र में उनका पुश्तैनी घर है। वहां के निवासियों ने भी उन्हें पूरा साथ नहीं दिया। जिस बूथ पर गहलोत ( Jodhpur Lok Sabha Seat ) ने वोट दिया, वहां कांग्रेस 300 से ज्यादा वोटों से पीछे रही। जबकि 4 माह पहले विधानसभा चुनाव में गहलोत ने जिस बूथ पर वोट दिया, वहां कांग्रेस को 150 वोटों से बढ़त मिली थी।