राजस्थान में भी निवेश जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, अजमेर जैसे कुछ बड़े शहरों तक ही सीमित हो गया। ऐसी स्थिति अब नहीं बने, इसलिए प्रदेश के हर जिले पर फोकस करना होगा। सरकार ने भले ही हर जिले में इन्वेस्टमेंट समिट के जरिए निवेश की बुनियाद तैयार की है, लेकिन वहां औद्योगिक गतिविधियां शुरू हों, इसकी सुनिश्चितता जरूरी है।
इसी से प्रदेश के सभी 50 जिलों का समान रूप औद्योगिक और इकोनॉमिक डवलपमेंट हो सकेगा। तभी उस क्षेत्र से पलायन और दूसरे शहर-जिलों में जनसंख्या दबाव रुक पाएगा। इसके लिए जिले में मौजूद खनिज, कृषि व अन्य कच्चे माल के वहीं मैन्यूफेक्चरिंग यूनिट लगे। लोकल उत्पाद को दूसरे राज्य, देश और विदेशों तक पहुंचाएं। इससे लघु, सूक्ष्म और मध्यम उद्योगों को भी संजीवनी मिलेगी। राज्य सरकार यह सुनिश्चित करे तो सही मायने में ‘राइजिंग राजस्थान’ होगा।
मिलेगा निवेश, खिलेगा परिवार
एक ही जगह न हो प्रदूषण… कुछ ही शहरों, तक निवेश होने से वहीं औद्योगिक गतिविधि बढ़ती हैं। इससे वहां जनसंख्या दबाव बढ़ा है। इसका साइड इफेक्ट प्रदूषण, बेतरतीब बसावट, सड़क दुर्घटना के रूप में होता है। बढ़ानी पड़ रही सड़कों की चौड़ाई.. इन्फ्रास्ट्रक्चर पर अप्रत्याशित रूप से भार बढ़ा है। सड़क चौड़ाई बढ़ाने को कई आवास, दुकानों को तोड़ना पड़ा है। ओवरब्रिज, अंडरपास पर करोड़ों रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं।
थमे पलायन, मिले स्थानीय स्तर पर रोजगार … जिन शहर, जिलों में निवेश कम आया या नहीं आ पाया, वहां से पलायन बढ़ गया। जिसके चलते युवा रोजगार की तलाश में तो बच्चे शिक्षा के लिए दूसरे शहर, राज्यों में पलायन करने पर मजबूर हो गए। यहां औद्योगिक गतिविधि बढ़ती तो रोजगार, स्थानीय व्यवसाय बढ़ता।
बने रहें संयुक्त परिवार… इसका साइड इफेक्ट परिवार -सामाजिक व्यवस्था पर भी पड़ा। पलायन से संयुक्त परिवार बिखरते चले गए। मजबूत होगा ढांचा… ऐसा मॉडल हो जिसमें निवेश छोटे शहरों और दूरदराज तक पहुंचे। परिवार की सकल आय बढ़ेगी। बुनियादी ढांचा मजबूत होगा।
यह भी हो…
नए औद्योगिक क्लस्टरों का निर्माण: हर जिले में उद्योगों के लिए विशेष क्षेत्र निर्धारित कर शुरुआत करें। इन क्लस्टरों को स्थानीय संसाधनों और कुशलता के आधार पर विकसित किया जा सकता है। यह भी पढ़ें
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स्थानीय शिक्षा और कौशल विकास: छोटे शहरों में विश्वविद्यालय और कौशल विकास केंद्र स्थापित हों, ताकि युवाओं को अपने ही क्षेत्र में अवसर मिल सकें। यह भी पढ़ें