उन्होंने कहा कि बजट 2023-24 में सरकार ने लंपी स्कीन डिजीज से दुधारु गोवंश की मृत्यु होने पर प्रति गाय 40 हजार रुपए की आर्थिक सहायता देने की बजटीय घोषणा की थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार तत्समय लंपी से 15.67 लाख पशुधन संक्रमित हुआ था तथा सरकार ने मात्र 76 हजार 30 गौवंश की मृत्यु होना स्वीकारा था, जबकि सरकार को सरपंच संघ द्वारा दिये गये ज्ञापन के अनुसार 5 लाख 13 हजार पशुधन की मृत्यु हुई थी। बजटीय घोषणा के अनुसार जो बीमा राशि 1 अप्रेल 2023 को स्वतः ही पशुपालकों के खाते में हस्तांतरित हो जानी चाहिए थी, अब सरकार वास्तविक आंकड़े छिपाकर पशुपालकों को अनुदान देकर झूठी वाहवाही लेने का प्रयास कर रही है। इससे बड़े दुर्भाग्य की बात क्या होगी कि सरकार गोशालाओं में लंपी से मृत्यु को प्राप्त हुए एक भी गोवंश को सहायता राशि नहीं दे रही है, जिस कारण गोशाला संचालकों में भी सरकार के खिलाफ आक्रोश व्याप्त है।
दुधारू की शर्त जोड़कर अपात्र किया
राठौड़ ने कहा कि सरकार ने लंपी स्कीन डिजिज (एलएसडी) से 76 हजार गोवंश मृत माने और जब सहायता देने का अवसर आया तो उसमें भी दुधारु गौवंश होने की शर्त जोड़ दी, जिसके बाद बड़ी संख्या में पशुपालक पात्र होने के बावजूद अपात्र की श्रेणी में आ गए। हैरानी की बात है कि जब बजटीय घोषणा में प्रति 2 दुधारू पशुओं के हिसाब से 20 लाख पशुपालकों को लाभान्वित करने की बात कही गई है तो मुख्यमंत्री कामधेनु बीमा योजना में 90 लाख पशुपालकों को कैसे लाभान्वित किया जाएगा ?
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घोषणा के बाद भी बीमा योजना शुरू नहीं की
राठौड़ ने कहा कि पशुपालकों के सम्मान समारोह आयोजित करने की बात कहने वाले मुख्यमंत्री पहले यह बताएं कि कांग्रेस ने जन घोषणा पत्र में लघु और सीमांत किसानों के पशुधन के मुफ्त बीमा की घोषणा की थी उसे 3 साल तक शुरु क्यों नहीं किया ? विधानसभा में मेरे स्वयं के प्रश्न के जवाब में सरकार ने स्वीकारा है कि वर्तमान कांग्रेस सरकार का कार्यकाल प्रारम्भ होने के वर्ष 2019 से सितंबर 2022 तक लघु और सीमांत किसानों के लिए मुफ्त बीमा योजना संचालित नहीं थी।