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Rajasthan Politics: उपचुनाव में कांग्रेस करेगी गठबंधन! इन दो सीटों के लिए आलाकमान ने दिया ये संकेत

Rajasthan Politics: राजस्थान की 6 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव को लेकर प्रदेश कांग्रेस में कई बड़े नेता अपने चहेतों की पैरवी में जुट गए हैं। वहीं, कुछ बड़े नेता अपने परिवार में ही टिकट दिए जाने की मशक्कत कर रहे हैं।

जयपुरSep 09, 2024 / 08:36 am

Lokendra Sainger

Rajasthan Politics: प्रदेश की 6 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव (Rajasthan By-Election) को लेकर अभी चुनाव आयोग ने भले ही घोषणा नहीं की हो, लेकिन सियासी दलों में टिकट को लेकर जोर-आजमाइश तेज हो गई है। राजस्थान कांग्रेस (Rajasthan Congress) में कई बड़े नेता अपने चहेतों की पैरवी में जुट गए हैं। वहीं, कुछ बड़े नेता अपने परिवार में ही टिकट दिए जाने की मशक्कत कर रहे हैं। पार्टी के भीतर चर्चा है कि 6 में से दो सीटों पर उपचुनाव में परिवारवाद की झलक दिख सकती है।
विधायक से सांसद बने दो नेता अपने परिवार में ही टिकट दिलाने को लेकर अंदर खाने पैरवी में जुटे हैं। हालांकि अभी खुलकर कोई नहीं बोल रहा है। उधर, हाड़ौती क्षेत्र से सांसद का चुनाव हार चुके नेता भी टोंक जिले की रिक्त सीट पर किस्मत आजमाने को लेकर भागदौड़ में कमी नहीं छोड़ रहे। वहीं, दौसा सीट पर विधानसभा चुनाव हार चुके एक नेता की भी नजरें टिकी हैं।
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टिकटों को लेकर पार्टी में जोर आजमाइश शुरू

उधर, टिकटों को लेकर भी पार्टी में जोर आजमाइश शुरू हो गई है। शेखावाटी क्षेत्र और पूर्वी राजस्थान की सीट पर परिवारवाद में ही टिकट जाने की चर्चा पार्टी नेताओं में ज्यादा है। हालांकि इन सीटों पर दूसरे नेता भी पैरवी में जुटे हैं। वहीं, मारवाड़ व आदिवासी अंचल की सीट पर गठबंधन की फिलहाल उम्मीद कम होने के चलते पार्टी के ही नेता दावेदारी को लेकर सक्रिय हो गए हैं। दावेदारों ने टिकट के लिए पीसीसी मुख्यालय से लेकर दिल्ली तक भागदौड़ शुरू कर दी है।
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गठबंधन पर स्थिति साफ नहीं

प्रदेश कांग्रेस में अभी लोकसभा चुनाव की तर्ज पर सहयोगी दलों से गठबंधन को लेकर स्थिति साफ नहीं है। एक-दो नेताओं को छोड़ कांग्रेस का कोई भी नेता सहयोगी दलों से उपचुनाव में गठबंधन करने का इच्छुक नहीं है। हालांकि आलाकमान के इस संबंध में अभी कोई निर्णय नहीं लिए जाने के चलते खुलकर बोलने से कतरा रहे हैं, लेकिन दिल्ली से गठबंधन नहीं करने को लेकर संदेश जरूर पहुंचाया गया है। विशेषकर आदिवासी क्षेत्र को लेकर पार्टी के बड़े नेताओं का मानना है कि गठबंधन करने से कांग्रेस पार्टी को ही नुकसान हो रहा है। गठबंधन करने से पार्टी आगे चलकर इस क्षेत्र में अपनी पकड़ खो सकती है।
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