हालांकि राज्य सरकार ने नए जिलों के लिए बजट का प्रावधान पिछले साल मार्च में कर दिया और अगस्त के पहले सप्ताह में 17 नए जिलों व तीन नए संभागों की अधिसूचना जारी कर दी गई। इसके बाद नए जिलों व संभागों में पदों का सृजन कर स्टाफ की वैकल्पिक व्यवस्था कर दी गई और आइएएस-आइपीएस अधिकारी अलग से लगा दिए गए।
इससे पहचान पर बना संकट
विधानसभा चुनाव 2023 के लिए चुनाव आयोग ने नए जिलों में स्टाफ की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने का तर्क देकर नए जिलों को अलग से निर्वाचन जिले बनाने से इनकार कर दिया। अब लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग इन जिलों को अलग पहचान नहीं दे रहा है। हालांकि राज्य निर्वाचन आयोग ने आचार संहिता खत्म होने के तत्काल बाद ही नए जिलों में जिला निर्वाचन अधिकारी घोषित कर दिए।
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नई सरकार ने नए जिलों में भर्ती प्रक्रिया नहीं शुरू की
उधर, सरकार ने भी नए जिलों में पदों को भरने के लिए कोई भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं की है। नए जिलों व संभागों के मुख्यालय भवनों के निर्माण के लिए कोई डेडलाइन भी तय नहीं है।
यह बोले रामलुभाया
नए जिलों व संभागों के लिए रूपरेखा तैयार करने वाले पूर्व आईएएस रामलुभाया ने कहा कि नए जिलों व संभागों को अलग से स्वरूप लेने में तो पांच साल तक लगेंगे, लेकिन स्टाफ की व्यवस्था सबसे पहले हो और अन्य कार्यों के लिए समयसीमा तय हो।
आईएएस रामलुभाया ने सवालों का बेबाक दिया जवाब सवाल – नए जिलों में काम की रफ्तार बढ़ाने को क्या किया जाए? जवाब – नए जिलों की अलग से पहचान बनने में पांच साल लग जाते हैंए पहले भी जिलों को स्वरूप लेने में समय लगा था।
सवाल – नए जिलों के लिए क्या प्राथमिकता रहनी चाहिए?
इससे पहचान पर बना संकट
विधानसभा चुनाव 2023 के लिए चुनाव आयोग ने नए जिलों में स्टाफ की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने का तर्क देकर नए जिलों को अलग से निर्वाचन जिले बनाने से इनकार कर दिया। अब लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग इन जिलों को अलग पहचान नहीं दे रहा है। हालांकि राज्य निर्वाचन आयोग ने आचार संहिता खत्म होने के तत्काल बाद ही नए जिलों में जिला निर्वाचन अधिकारी घोषित कर दिए।
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नई सरकार ने नए जिलों में भर्ती प्रक्रिया नहीं शुरू की
उधर, सरकार ने भी नए जिलों में पदों को भरने के लिए कोई भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं की है। नए जिलों व संभागों के मुख्यालय भवनों के निर्माण के लिए कोई डेडलाइन भी तय नहीं है।
यह बोले रामलुभाया
नए जिलों व संभागों के लिए रूपरेखा तैयार करने वाले पूर्व आईएएस रामलुभाया ने कहा कि नए जिलों व संभागों को अलग से स्वरूप लेने में तो पांच साल तक लगेंगे, लेकिन स्टाफ की व्यवस्था सबसे पहले हो और अन्य कार्यों के लिए समयसीमा तय हो।
आईएएस रामलुभाया ने सवालों का बेबाक दिया जवाब सवाल – नए जिलों में काम की रफ्तार बढ़ाने को क्या किया जाए? जवाब – नए जिलों की अलग से पहचान बनने में पांच साल लग जाते हैंए पहले भी जिलों को स्वरूप लेने में समय लगा था।
सवाल – नए जिलों के लिए क्या प्राथमिकता रहनी चाहिए?
जवाब – स्टाफ व भवन की समस्या रहती है। सबसे ज्यादा जरूरत स्टाफ की रहती है। इस कार्य के लिए मुख्य सचिव की कमेटी बनी हुई है। संसाधनों के लिए समयसीमा तय कर स्टाफ व अधिकारी प्राथमिकता से दिए जाएं। स्टाफ व अधिकारी की व्यवस्था के साथ ही 80 प्रतिशत कार्य पूरा हो जाएगाए फिर भवन आदि का 20 प्रतिशत काम ही शेष रहेगा। जनता को लाभ दिलाने के लिए स्टाफ सबसे ज्यादा जरूरी है।
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