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जयपुर

हाईकोर्ट का बड़ा आदेश, दिव्यांग को आयु सीमा में दी छूट, राजस्थान सरकार व एनएमसी पर लगाया हर्जाना

Rajasthan High Court Order : राजस्थान हाईकोर्ट ने एक याचिका पर बड़ा फैसला दिया। दिव्यांग को आयु सीमा में छूट दी और सीनियर रेजीडेंट पद पर नियुक्ति का आदेश दिया। इसके साथ ही राजस्थान सरकार व एनएमसी पर 50-50 हजार रुपए का हर्जाना लगाया।

जयपुरJun 02, 2024 / 04:43 pm

Sanjay Kumar Srivastava

Rajasthan High Court Big Order : राजस्थान सरकार और नेशनल मेडिकल काउन्सिल (एनएमसी) नियमों में प्रावधान होने के बावजूद दिव्यांगजनों को भर्तियों में अधिकतम आयुसीमा में पांच साल की छूट नहीं दे रहे हैं। राजस्थान हाईकोर्ट ने मामला सामने आने पर राज्य सरकार व एनएमसी पर 50-50 हजार रुपए हर्जाना लगाया, वहीं दिव्यांग को आयु सीमा में छूट देकर सीनियर रेजीडेंट पद पर नियुक्ति का आदेश दिया। न्यायाधीश समीर जैन ने डॉ. शेख मोहमद अफजल की याचिका पर यह आदेश दिया।

सीनियर रेजीडेंट पर चयन हुआ पर संस्था ने किया इनकार

अधिवक्ता असलम खान ने हाईकोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता ने नीट पीजी में 2020 में ओबीसी दिव्यांग कोटे से एमडी-पीडियाट्रिक की सीट पर दाखिला लिया। इसके आधार पर एक अगस्त 2023 को पीजी कोर्स पूरा कर लिया। इसके बाद याचिकाकर्ता का सीनियर रेजीडेंट के रूप में चयन हो गया, लेकिन 45 वर्ष से अधिक आयु होने के कारण नियुक्ति देने से इनकार कर दिया गया। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि जोधपुर व देश के कई मेडिकल कॉलेजों में दिव्यांगों को उनके वर्ग के आधार पर आयु सीमा में 10 से 15 साल तक की छूट दी जा रही है और ओबीसी के दिव्यांगों को अधिकतम आयु में 13 साल की छूट दी जा रही है।
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याचिकाकर्ता आयु पार हो गया – एनएमसी अधिवक्ता

एनएमसी की ओर से अधिवक्ता अंगद मिर्धा ने कहा कि याचिकाकर्ता आयु पार हो गया, इस मामले में हाईकोर्ट को दखल करने का अधिकार नहीं है। विज्ञापन में नियुक्ति के समय अभ्यर्थी की आयु 45 साल से कम होने की शर्त रखी गई थी। साथ ही कहा कि सीनियर रेजीडेंट सभी सरकारी अस्पतालों की रीढ़ की तरह होते हैं।

अतिरिक्त छूट देने के प्रावधान का नहीं किया गया पालन – हाईकोर्ट

अतिरिक्त महाधिवक्ता जी एस गिल ने एनएमसी के तर्कों का समर्थन किया। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनकर टिप्पणी की कि याचिकाकर्ता को ओबीसी दिव्यांग वर्ग में प्रवेश दिया गया, लेकिन नियमों के अंतर्गत आयु सीमा में पांच साल की अतिरिक्त छूट देने के प्रावधान का पालन नहीं किया जा रहा।

हाईकोर्ट ने याद दिलाया यूएन कन्वेंशन

हाईकोर्टने याद दिलाया कि एक ओर यूएन कन्वेंशन के अंतर्गत दिव्यांगों को आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है, वहीं आयु सीमा में छूट का लाभ देने से इनकार किया जा रहा है। दिव्यांगजन से संबंधित 2016 का कानून लाभ देने के उद्देश्य से बनाया गया और उसी के अंतर्गत आयु सीमा में छूट का प्रावधान किया गया। एक ओर सीनियर रेजीडेंट को रीढ़ बताकर आयु सीमा में छूट देने से मना किया जा रहा है, वहीं सीनियर मेडिकल प्रोफेसर की आयु 60 से बढ़ाकर 70 साल तक कर दी गई है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को आयु सीमा में पांच साल की छूट देकर नियुक्ति देने का आदेश दिया, वहीं राज्य सरकार व एनएमसी से कहा कि मेरिट से चयन के बावजूद नियुक्ति में देरी के लिए याचिकाकर्ता को 50-50 हजार रुपए का हर्जाना दें।
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