सरकार की ओर से अनिवार्यता लागू होने से राशन कार्ड में जितने लोगों के नाम हैं, उन सभी सदस्यों का ई-केवायसी जरूरी है। एक भी सदस्य का ई-केवायसी नहीं होने पर राशन कार्ड पर देय लाभ बंद हो सकता है। रसद विभाग के पास सिर्फ मौजूदा माह तक ही राशन देने के आदेश हैं।
इधर, लाभार्थी परिवार इन दिनों ई-मित्र, ग्राम पंचायत व पंचायत समितियों के चक्कर लगा रहे हैं, वहीं विदेश में कामगार असमंजस में हैं कि गांव जाकर ई-केवायसी करवाएं भी तो उन्हें आने-जाने के किराए की वजह से सरकारी सरकारी लाभ महंगा पड़ेगा।
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गांवों से बड़ी संख्या में युवा कुवैत व दुबई में रोजगाररत हैं। उनका ई-केवायसी अभी संभव नहीं हैं। सरकार सभी सदस्यों के ई-केवायसी की अनिवार्यता हटा दे तो बेहतर रहेगा।- गौतमलाल पाटीदार, अवलपुरा, बांसवाड़ा
- जानू भाई, उपभोक्ता
हीरालाल पाटीदार, खेरन का पारड़ा, बांसवाड़ा ई-केवायसी के अभाव में राशन नहीं मिलेगा। उज्ज्वला गैस सिलेंडर के लाभ से भी वंचित रहेंगे।
हजारीलाल आलोरिया, जिला रसद अधिकारी, बांसवाड़ा
इतने ई-केवायसी बाकी
डूंगरपुर जिला
राशन कार्ड : 17 फीसदी
एलपीजी मैपिक ई-केवायसी : 80 प्रतिशत
बांसवाड़ा जिला
कुल यूनिट : 14,16,510
ई-केवायसी यूनिट: 11,60,757
लक्ष्यापूर्ति : 82%
शेष : 2,55,753
यह हो सकता है समाधान
जितने सदस्यों का ई-केवायसी हुआ, उतने सदस्यों को तो राशन सामग्री दें।
पोर्टल पर ई-केवायसी का ऑप्शन खुला रखा जाए, ताकि जब भी विदेश से सदस्य घर आएं, तब ई-केवाइसी हो सके।
एक सदस्य का ई—केवायसी नहीं होने पर परिवार का उज्ज्वला सिलेंडर लाभ न रोका जाए
इन देशों में हैं प्रदेश के मजदूर
कुवैत, दुबई, बहरीन, ओमान, कतर, यूएई, सऊदी अरब के अलावा अन्य कई देशों व अन्य राज्यों में रोजगार कर रहे हैं।
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वागड़ और शेखावाटी पर सर्वाधिक असर
बांसवाड़ा जिले के अरथूना, गढ़ी तथा डूंगरपुर जिले के धंबोला, सागवाड़ा, डूंगरपुर, ठाकरड़ा, सीमलवाड़ा, गलियाकोट क्षेत्र के करीब तीन लाख लोग बाहर रोजगाररत हैं।
सीकर जिले के फतेहपुर, लक्ष्मणगढ़ और दांतारामगढ़, चूरू जिला मुख्यालय तथा आसपास के गांवों और झुंझुनूं जिले के मंडावा और नवलगढ़ के करीब 70 हजार लोग विदेशों में हैं, जिनमें 75 फीसदी श्रमिक वर्ग के हैं।