यह कहा सरकार ने
औषधि नियंत्रक की ओर से जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि इन दिनों देखने में आ रहा है कि रक्तदान शिविरों में ब्लड सेंटर्स अपनी आयोजकों के साथ मिलकर कई प्रकार के गिफ्ट देने की परंपरा शुरू कर चुका है। रक्तदान शिविरों में डोनर्स को लुभाने के लिए हेलमेट कंबल, कैंपर सहित अन्य प्रकार के प्रलोभन दिए जाते हैं। जो की रक्तदाता की नियमावली के खिलाफ है और नियम विरुद्ध भी है। भविष्य में रक्तदान शिविरों में यदि रिटर्न गिफ्ट दिया जाता है तो उसे ब्लड सेंटर की मान्यता रद्द की जाएगी। पत्रिका ने उठाई थी आवाज
राजस्थान पत्रिका ने सबसे पहले यह आवाज उठाई थी। पत्रिका ने 8 जनवरी के अंक में सरकार के सामने यह व्यवस्था उजागर की और बताया कि कैसे बिना इनाम के डोनर्स मिलना मुश्किल हो जाता है। रिटर्न गिफ्ट की इस परंपरा से भ्रष्टाचार भी काफी पनपा जिसे भी पत्रिका ने उजागर किया।
ऐसे मची होड़
दरअसल रक्तदान शिविरों में जब से रिटर्न गिफ्ट मिलने की परंपरा शुरू हुई तभी से शिविर में रिकॉर्ड बनाने कई संस्थाओं ने शुरू किया। एक दिन में 500 से 1000 यूनिट तक रक्त एकत्रित किया जाने लगा। जबकि जोधपुर शहर में एक दिन में इतने ब्लड की जरूरत नहीं पड़ती इसकी बजाय लगातार छोटे-छोटे कैंप करवाए जा सकते हैं। ब्लड डोनेशन कैंप में जोधपुर के बाहर से भी ब्लड बैंक को बुलाया जाता और उनको यह दान किया गया रक्त बेचा जाता था।
संगठनों ने किया स्वागत
रक्तदान क्षेत्र में कार्य करने वाली कई संस्थाओं ने सरकार के इस आदेश का स्वागत किया है। लाल बूंद जिंदगी रक्षक सेवा संस्थान के अध्यक्ष रजत गौड़ ने बताया कि यह कदम स्वैच्छिक रक्तदान की मुहिम को सशक्त बनाने और इसके महत्व को पुनः स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगतिशील कदम है। पत्रिका में सबसे पहले यह मामला उजागर किया इसके लिए भी साधुवाद। वन्दे भारत सेवा संस्था के संरक्षक सुरेश डोसी, सचिव नरेन्द्र सिंह राठौड, अध्यक्ष लियाकत अली, कोषाध्यक्ष गौतम कटारिया एवं मीडिया प्रभारी अनिल कोठारी ने भी इसका स्वागत किया।