Rajasthan Election 2023 – NOTA
Rajasthan Election 2023 : राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में इस बार भी 7 प्रत्याशियों की हार-जीत का अंतर एक हजार से कम वोट का रहा, लेकिन प्रदेश में नोटा पर डाले गए मतों का आंकड़ा 3.82 लाख से अधिक पहुंच गया। लगातार तीसरी बार नोटा का आंकड़ा घटा है, जबकि नोटा का प्रावधान जनता को प्रत्याशियों को नकारने का मौका देने के लिए दिया गया था। अब कहा जाने लगा है कि नोटा वोट डालने का मतलब है किसी प्रत्याशी को जीतने का अवसर देना। नोटा को 0.96 प्रतिशत वोट मिले हैं। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में नोटा वोट की संख्या 5 लाख 89 हजार के करीब थी, इसके अगले चुनाव में यह आंकड़ा 4 लाख 67 हजार 785 रह गया। वर्ष 2018 में कुल वोट का 1.33 प्रतिशत नोटा वोट थे, 15 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में नोटा वोट प्रत्याशियों की हार-जीत के अंतर से अधिक थे।
16 सीटों पर हार-जीत का अंतर 2000 से रहा कमइस बार 16 सीटों पर हार-जीत का अंतर दो हजार से कम रहा है। कोटपूतली सीट पर 321 मतों से कांग्रेस के राजेन्द्रसिंह यादव को भाजपा के हंसराज पटेल ने हराया। कोटपूतली व कठूमर में हार-जीत का अंतर 500 वोट से भी कम रहा। जहाजपुर, नोहर, बायतू व हवामहल सीट पर हार-जीत का अंतर 500 से एक हजार के बीच रहा। भीनमाल, भादरा, नसीराबाद, बांसवाड़ा, घाटोल, आसींद, नगर, जायल, मावली व थानागाजी विधानसभा सीट पर हार-जीत का अंतर एक हजार से दो हजार के बीच रहा है। इनमें से 10 जगह भाजपा ने जीत हासिल की, वहीं छह जगह कांग्रेस विजयी रही।
क्या है नोटानोटा मतलब नन ऑफ द एबव। यानी इन में से कोई नहीं। वोटिंग के दौरान भी लोगों को इसका विकल्प मिलता है। यानी आपको अगर किसी सीट पर खड़े प्रत्याशियों में से कोई भी पसंद नहीं है तो आप नोटा का विकल्प चुन सकते हैं। ईवीएम में ही आपको नोटा का बटन मिलता है। पहली बार 2013 में नोटा का प्रयोग हुआ था। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों पर नोटा विकल्प का अपना प्रतीक है। एक मतपत्र जिसके पार एक काला क्रॉस है। सितंबर 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, चुनाव आयोग ने वोटिंग पैनल पर अंतिम विकल्प के रूप में ईवीएम पर नोटा बटन जोड़ा।
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