पायलट समर्थक 19 विधायकों और बसपा से कांग्रेस में आए 6 विधायकों की सदस्यता से संबंधित मामले सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित हैं, लेकिन अब 16वीं विधानसभा के गठन की प्रक्रिया अंतिम चरण में होने से 15वीं विधानसभा के सदस्यों की सदस्यता पर होने वाला निर्णय प्रभावहीन हो जाएगा। नई विधानसभा का गठन होने तक सीपी जोशी विधानसभा अध्यक्ष तो रहेंगे, लेकिन अब विधायकों की सदस्यता पर लंबित याचिकाओं पर निर्णय शायद ही होगा। बसपा विधायकों की सदस्यता के मामले में भाजपा विधायक मदन दिलावर व अन्य ने याचिका दायर की, वहीं पायलट समर्थक विधायकों के खिलाफ महेश जोशी ने विधानसभा अध्यक्ष को शिकायत दी थी। जोशी की शिकायत के आधार पर विधानसभा अध्यक्ष जोशी ने कांग्रेस में नाराजगी दिखाने वाले 19 विधायकों को आनन-फानन नोटिस भी जारी किया था, जो उस समय काफी चर्चा में रहा।
विधानसभा में दोनों याचिकाएं ठंडे बस्ते में
विधानसभा अध्यक्ष के पास लंबित दोनों ही याचिकाएं लंबे समय से ठंडे बस्ते में हैं। बीच में सुनवाई के लिए तारीख पड़ी, लेकिन कोई प्रभावी निर्णय सामने नहीं आया।
यह थे मामले
6 विधायकों का मामला- बसपा के टिकट पर जीते 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे, इस विलय को लेकर सवाल उठा कि विलय कानूनन गलत है, ऐसे में इन विधायकों की सदस्यता को रद्द करने की गुहार की गई थी। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित है।
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19 विधायकों का मामला
वर्ष 2020 में पायलट सहित 19 विधायकों की सदस्यता को लेकर तत्कालीन मुख्य सचेतक महेश जोशी ने विधानसभा अध्यक्ष को शिकायत की। इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस जारी करने को संबंधित विधायकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर कोर्ट ने स्टे के माध्यम से अंतरिम राहत दी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लंबित है।