2000 में भाजपा ने 6 में से जीती थी 4 सीटें
प्रदेश में पहली विधानसभा से लेकर अब चल रही 16वीं विधानसभा तक कुल 101 सीटों पर उपचुनाव हुए हैं। उपचुनाव में अब तक एक साथ सबसे अधिक सीटें जीतने का रिकॉर्ड भी भाजपा के नाम ही है। साल 2000 में 6 सीटों पर हुए एक साथ उपचुनाव में भाजपा ने 4 सीटें एक साथ जीतीं थी। उस समय भाजपा प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल था और कांग्रेस सरकार के अशोक गहलोत सीएम थे। प्रदेश में हुए 2024 के उपचुनाव में ऐसा पहली बार हुआ है कि सत्ताधारी पार्टी की झोली में जनता ने एक साथ 5 सीटें दी है। यह भी पढ़ें
रामगढ़ से बीजेपी के सुखवंत सिंह जीते, नहीं चला कांग्रेस का इमोशनल कार्ड
अब तक उपचुनव में कांग्रेस का पलड़ा रहा है भारी
1952 से लेकर अब तक कुल 101 उपचुनावों में 57 सीटें जीतकर कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा है, वहीं भाजपा 1980 में अस्तित्व में आई। इसके बाद प्रदेश में 61 सीटों पर उपचुनाव हुए। इनमें से कांग्रेस के खाते में सिर्फ 23 सीटें गई तो भाजपा के खाते में 31 सीटें आई। हालांकि साल 2021 में 5 सीटों पर अलग-अलग उपचुनाव हुए थे। इस दौरान प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, जिसमें चार सीटें कांग्रेस के खाते में गई और एक सीट भाजपा ने जीती थी। ये उपचुनाव एक साथ नहीं होकर अगल-अलग तिथि पर हुए थे।2024 उपचुनाव के ये रहे परिणाम
भाजपा ने उपचुनाव में सबसे अधिक पांच सीटें- खींवसर, रामगढ़, देवली-उनियारा, सलूंबर, और झुंझुनूं में जीत दर्ज की है। कांग्रेस ने केवल एक सीट दौसा पर जीत दर्ज किया है। वहीं चौरासी उपचुनाव में भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) को जीत मिली है। इन नेताओं ने दर्ज की जीत: खींवसर– रेवंत राम डांगा (भाजपा) रामगढ़- सुखवंत सिंह (भाजपा), देवली-उनियारा- राजेंद्र गुर्जर (भाजपा), सलूंबर- शांता अमृतलाल मीणा (भाजपा), झुंझुनूं- राजेंद्र भांबू (भाजपा) दौसा- दीनदयाल बैरवा (कांग्रेस) और चौरासी- अनिल कुमार कटारा (बीएपी)