तथ्यों से परे हैं मीडिया के आंकड़े : सरकार
निदेशक (जन स्वास्थ्य) डॉ. रवि प्रकाश माथुर ने कहा है कि विभिन्न मीडिया माध्यमों में हीटवेव से मौतों की जो संख्या प्रकाशित या प्रसारित की जा रही हैं, वे तथ्य से परे हैं। हीटवेव से होने वाली मौतों के प्रमाणिक आंकड़े चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा ही जारी किए जा रहे हैं। यह आंकड़े भारत सरकार के प्रोटोकॉल के अनुसार डेथ ऑडिट कमेटी द्वारा मौत के कारणों की जांच करने के बाद जारी किए जाते हैं।
हीट वेव से मौत पुष्ट होने की ये है सरकारी प्रक्रिया
– हीट स्ट्रोक से संदिग्ध मौतों की जांच ‘डेथ ऑडिट कमेटी’ करती है
– इस कमेटी के सामने भारत सरकार द्वारा निर्धारित पैरामीटर्स रहते हैं
– इन पैरामीटर्स में पड़ताल कर रिपोर्ट आईएचआईपी पोर्टल पर होती है प्रेषित
– आईएचआईपी पोर्टल पर जारी आंकडे़ ही होते हैं प्रमाणिक
बीमारी या अन्य कारणों से मौत: सरकार
सरकार का मानना है कि ज़्यादातर मौतें हीट वेव से नहीं, बल्कि मौसमी बीमारियों और अन्य कारणों से हो रही हैं। निदेशक (जन स्वास्थ्य) डॉ. रवि प्रकाश माथुर ने चिकित्सा विशेषज्ञों का हवाला देते हुए कहा कि तेज गर्मी के दौरान गंभीर बीमारियों एवं अन्य कारणों से भी मौतें हो जाती हैं। प्रोटोकॉल के अनुसार उन्हें हीट स्ट्रोक से होना नहीं माना जा सकता।
आंकड़ों से भयभीत-भ्रमित ना हों आमजन
डॉ. माथुर ने कहा कि हीटवेव से होने वाली मौतों को लेकर आमजन भयभीत एवं भ्रमित नहीं हों। इस संबंध में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रतिदिन प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध करवाई जा रही है। हीटवेव से मौतें होना दुखद है। सरकार का प्रयास है कि प्रदेश में हीटवेव से जनहानि नहीं हो। पूरी सतर्कता और सजगता के साथ दायित्वों का निर्वहन करते हुए हर स्थिति की मुख्यालय के साथ ही जिला स्तर से भी प्रभावी मॉनिटरिंग हो रही है।
सरकारी दावा – ऑल इज़ वेल, एव्रीथिंग अंडर कंट्रोल
आला अफसरों से लेकर स्वास्थ्य मंत्री तक दावा कर रहे हैं कि सरकार ने हीटवेव को लेकर समुचित प्रबंध सुनिश्चित किए हैं। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने हीटवेव को लेकर मार्च माह से ही तैयारियां सगुरु कर दी थी, इसके चलते राजस्थान में हीटवेव की प्रबलता के बावजूद स्थितियां पूरी तरह नियंत्रण में है।