सरदार शहर की घटना को लेकर सरकार की ओर से धारीवाल ने वक्तव्य रखते हुए कहा कि 7 जुलाई को सरदार शहर पुलिस थाने में चोरी के मामले में हिरासत में एक युवक की मौत हो गई। इसकी जांच न्यायिक जांच की जा रही है। पुलिस हिरासत की इस मौत की घटना के चलते थानाधिकारी समेत आठ पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया, जबकि 19 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर किया गया। वहीं मृतक की भाभी और उसके परिवारजन 13 जुलाई को डीजीपी से मिले और गैंगरेप की घटना बताई। इसके बाद अपराध शाखा से एक महिला अधिकारी को भेजकर मृतक की भाभी का 13 जुलाई को पर्चा बयान लिया।
इस दौरान महिला ने पुलिस को बताया कि 3 जुलाई को उसके देवर को पुलिस ने उठाया और चोरी के जेवर बरामदगी का दबाव डाला। इसके साथ भी उसे भी पुलिस ले आई और उसी रात को थानाधिकारी और अन्य पुलिसकर्मियों ने उससे बलात्कार किया। इस बयान के अगले दिन पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए महिला से बलात्कार समेत अन्य अपराध की अधिकतम धाराओं में मुकदमा दर्ज कर एसपी स्तर की महिला अधिकारी को जांच सौंपी गई है। इसके अलावा युवक की मौत के बाद उसके परिजनों की ओर से की गई चार मांगों को सरकार ने मान लिया।
वहीं उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ( Rajendra Rathore ) ने सरकार के बयान से असंतोष जताया और कहा कि थाने में एक ओर युवक से मारपीट की गई, दूसरी ओर उसकी भाभी के साथ बलात्कार किया जा गया। पुलिस हिरासत में पुलिस यातना से युवक की मौत हुई है। आरोपी पुलिसकर्मियों को अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। इस मामले की सीबीआई जांच के साथ उचित मुआवजा देने की मांग की। साथ ही बलात्कार पीडि़ता को नौकरी देने की मांग की।
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ( Gulab Chand Kataria ) के बयान के बाद भाजपा के अन्य विधायकों ने बोलने की कोशिश की तो अध्यक्ष सी.पी.जोशी ने इस मामले पर चर्चा समाप्त करने की घोषणा कर दी और धारीवाल से अगला वक्तव्य देने के लिए कहा। विपक्ष ने अध्यक्ष की इस व्यवस्था और सरकार के जवाब पर असंतोष जाहिर किया। राठौड़ ने सीबीआई से जांच की मांग करते हुए वॉकआउट करने की घोषणा कर दी। भाजपा के सभी सदस्य करीब डेढ़ मिनट तक सदन से बाहर रहे।