राजस्थान विधानसभा चुनाव: जयपुर में 199 प्रत्याशी चुनाव मैदान में, 148 हुए कम
ये नेता माने, नाम वापस: वैसे तो जयपुर में झोटवाड़ा, सिविल लाइंस, विद्याधरनगर और बस्सी में ही बगावत हुई थी और टिकट नहीं मिलने से नाराज नेताओं ने नामांकन भर पार्टी के सामने चुनाैती पेश कर दी थी। इसके बाद पार्टी ने डैमेज कंट्रोल शुरू किया और नेताओं को बागियों को मनाने की जिम्मेदारी दी। पार्टी ने कई जगह सफलता भी हासिल की। इनमें राजपाल शेखावत मान गए। इसी तरह सिविल लाइंस में रणजीत सिंह सोडाला और दिनेश सैनी ने नामांकन वापस ले लिया। दोनों नेताओं ने टिकट नहीं मिलने पर अपना विरोध भी दर्ज कराया था। रणजीत सोडाला के समर्थकों ने तो भाजपा मुख्यालय पर जमकर प्रदर्शन किया था और केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत का घेराव भी किया था। विद्याधर नगर सीट पर भी बागी विष्णु प्रताप सिंह ने नाम वापस ले लिया है। अब इन सीटों पर कोई बागी नहीं बचा है।
ये बने आफत, नहीं हुए राजी: भाजपा को झोटवाड़ा में बागी आशु सिंह सुरपुरा को मनाने में सफलता नहीं मिल पाई और वे चुनाव मैदान में डटे हुए हैं। इसी तरह बस्सी सीट पर जितेन्द्र मीणा चुनाव लड़ रहे हैं। पार्टी ने उन्हें नामांकन वापस लेने के लिए दबाव भी बनाया लेकिन वो नहीं माने। मीणा पिछली वसुंधरा सरकार में बोर्ड चेयरमैन रह चुके हैं। पार्टी ने उन्हें टिकट न देकर रिटायर्ड आइएएस चंद्रमोहन मीणा को टिकट दिया है। इससे नाराज होकर जितेन्द्र मीणा ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।
पार्टी के लिए अब भी खतरा: जिन सीटों पर बागी डटे हुए हैं उनसे भाजपा को खतरा भी लग रहा है। आशुसिंह सुरपुरा तो 2013 में चुनाव लडे़ थे और 18 हजार से ज्यादा वोट लिए थे। इसी तरह बस्सी में जितेन्द्र मीणा के खडे़ होने से भी पार्टी के सामने संकट हो सकता है। मीणा अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ठ के अध्यक्ष भी हैं।
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अब दिखाएंगे बाहर का रास्ता: भाजपा अब बागियों के खिलाफ एक्शन लेने के मूड में है और बागियों को अब पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। इसके लिए तैयारी भी शुरू हो गई है और जल्द ही इन पर कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए जाएंगे।