राजस्थान में विधानसभा चुनाव ( Rajasthan Assembly Election ) में अब कुछ महीने ही बाकी हैं, वहीं कांग्रेस अपने तीन साल पुराने मुकाम पर पहुंच गई है। कांग्रेस में सिर फुटव्वल मचा हुआ है और पार्टी नेतृत्व को सुलह का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है। कांग्रेस सरकार रिपीट नहीं होने का मिथक तोड़ने की कोशिश में जुटी है। इस बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ( Ashok Gehlot ) और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ( Sachin Pilot ) की सियासी अदावत फिर चर्चा में है। दोनों नेता अब सीधे एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। वहीं केन्द्रीय नेतृत्व खामोश है।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि राजस्थान के विवाद को लगातार टालने से हालात बिगड़ते चले गए। इस समय जब पार्टी को एकजुट होकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी पार्टी भाजपा से मुकाबला करना है, तब नेताओं के झगड़े पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी कर रहे हैं।
कार्रवाई से लग रहा डर
गहलोत व पायलट की बयानबाजी पर अब तक पार्टी ने कोई स्टैंड नहीं लिया है। सूत्रों का कहना है कि पायलट के सरकार के खिलाफ अनशन पर बैठने से कई वरिष्ठ नेताओं ने नाराजगी जताई थी। अब पायलट की पदयात्रा पर पार्टी नेताओं की निगाह जमी हुई है। वहीं पायलट के आक्रामक तेवरों के बावजूद उन पर कार्रवाई नहीं करने को लेकर कई वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि यदि पायलट पर कार्रवाई की जाती है तो उन्हें बोलने का मौका मिलेगा और लोगों से सहानुभूति मिल सकती है।
हर चीज सार्वजनिक नहीं होती : खेड़ा
राजस्थान के सवालों पर कांग्रेस मीडिया व पब्लिसिटी प्रमुख पवन खेड़ा जवाब देने से बचते दिखे। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि कांग्रेस या किसी भी संगठन में राज्य का प्रभारी होता है। उस राज्य में जो भी हो रहा है, उसके प्रभारी को संज्ञान होता है। प्रभारी सबसे चर्चा करने के बाद कोई निष्कर्ष पर पहुंचता है। खेड़ा ने कहा कि संज्ञान में लेना मतलब सुनना होता है। वैसे भी हर चीज सार्वजनिक नहीं होती। सार्वजनिक होने का जब सही वक्त आएगा, तब निष्कर्ष को सार्वजनिक किया जाएगा।
अदावत में ऐसे आया उतार-चढ़ाव
– 2018 के विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद गहलोत और सचिन पायलट के बीच मुख्यमंत्री के पद को लेकर सियासी अदावत शुरू हुई।
– जुलाई 2020 में यह बड़े झगड़े में बदल गई और पायलट नेतृत्व परिवर्तन की मांग को लेकर कुछ विधायकों के साथ मानेसर चले गए।
– केन्द्रीय नेतृत्व के दखल के बाद गहलोत सरकार बची। तब पार्टी नेतृत्व ने दोनों नेताओं में सुलह करवाई और दोनों के एक-साथ फोटो खिंचवाए।
– इसके कुछ महीने तक हालात ठीक रहे, लेकिन पायलट को लेकर फैसला नहीं होने से करीब एक साल पहले से सियासी हालात बिगड़ने लगे।
– पहले दोनों खेमों के नेताओं के बीच बयानबाजी हुई। अब खुद दोनों नेता ही आमने-सामने नजर आ रहे हैं।